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गोरखपुर लोकसभा सीट : सीएम योगी के भरोसे चुनाव लड़ रहे रवि किशन, दांव पर प्रतिष्ठा

By राजेंद्र कुमार | Published: March 15, 2024 7:16 PM

Lok sabha Elections 2024: इस संसदीय सीट के इतिहास को देखे तो अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में 11 बार से ज्यादा मंदिर के महंत या मंदिर के महंत के आशीर्वाद से उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं।

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ठळक मुद्दे35 वर्षों से गोरखनाथ मठ से तय होती गोरखपुर की राजनीतिचुनाव लड़ रहे रवि किशन, प्रतिष्ठा दांव पर सीएम योगी कीवर्ष 1998 से वर्ष 2014 तक लगातार पांच बार योगी आदित्यनाथ यहां से सांसद चुने गए

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को गोरखपुर में थे। यह शहर यूपी का एक धार्मिक महत्व वाला शहर है। प्रसिद्ध गुरु गोरखनाथ मंदिर यहां स्थित है। इसी गोरखनाथ मठ से गोरखपुर संसदीय सीट की राजनीति तय होती हैं। बीते 35 वर्षों से तो यही होता आ रहा है। इस संसदीय सीट के इतिहास को देखे तो अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में 11 बार से ज्यादा मंदिर के महंत या मंदिर के महंत के आशीर्वाद से उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धर्मस्थल और कार्यस्थल भी गोरखपुर ही है। वह अपने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 1998 से वर्ष 2017 तक लोकसभा में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। इसके बाद बीते लोकसभा चुनाव फिल्म अभिनेता रवि किशन इस सीट से चुनाव लड़कर देश की संसद में पहुंचे। अब फिर वह इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन वह अपनी जीत के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के भरोसे हैं, इसलिए रवि किशन अपनी चुनावी सभाओं में सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर जनता से वोट देने की अपील कर रहे हैंय़

सीएम योगी के भरोसे रवि किशन

शुक्रवार को भी रवि किशन का यह रूप तह देखने को मिला, जब वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में 24.69 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली फार्मेसी बिल्डिंग के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे। इस कार्यक्रम के दौरान रवि किशन ने विस्तार से बताया की कैसे सीएम योगी की देखरेख में यह शहर यूपी के आधुनिक शहर बनता जा रहा है।

इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी से बीते सात सालों में लोगों को छुटकारा मिला है। सीएम योगी के शासनकाल के दौरान गोरखपुर में हुए तमाम विकास कार्यों का विस्तार से रवि किशन ने उल्लेख किया। इस पर लोगों ने उन्हे सीएम योगी का सच्चा शिष्य तक बता दिया। फिलहाल यह तय है कि सीएम योगी राजनीतिक प्रताप का फल रवि किशन को बीते लोकसभा चुनाव में मिला था और इस बार भी रवि किशन सीएम योगी के भरोसे ही अपनी जीत तय मान रहे हैं।

रवि किशन के इस भरोसे ही वजह भी है। गोरखपुर के राजनीतिक इतिहास को देखे तो पता चलता है कि आजादी के बाद वर्ष 1952 में हुए चुनाव में गोरखपुर सीट से कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में कांग्रेस के सिंहासन सिंह यहां से जीते थे। इसके बाद दूसरे और तीसरे चुनाव में भी वह इस सीट से चुनाव जीते। फिर आया वर्ष 1967 का चुनाव। 

इस चुनाव में गोरक्षपीठ की एंट्री हुई और महंत दिग्विजयनाथ चुनाव जीते। फिर वर्ष 1970 में महंत अवैद्यनाथ ने इस सीट जीत दर्ज की। इसके बाद फिर वर्ष 1971 से वर्ष 1984 तक कांग्रेस पार्टी यहां चुनाव जीतती रही. वर्ष 1989 में राम मंदिर के  मुददे ने ज़ोर पकड़ा और एक बार फिर महन्त अवैद्यनाथ हिन्दू महासभा की टिकट पर संसद पहुंचे। इसके बाद वर्ष 1991 से वर्ष 2017 तक गोरखपुर सीट पर गोरक्षपीठ के महंत का कब्जा रहा है।

वर्ष 1998 से वर्ष 2014 तक लगातार पांच बार योगी आदित्यनाथ यहां से सांसद चुने गए। वर्ष 2017 में यूपी के सीएम बनने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दिया। इसके बाद यहां हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रवीण कुमार निषाद ने जीत दर्ज की, लेकिन वर्ष 2019 के चुनाव में फिर सीएम योगी ने रवींद्र श्यामनारायण शुक्ल उर्फ रवि किशन को चुनाव जीता कर इस सीट पर फिर से अपना वर्चस्व साबित कर दिया। उस चुनाव में रवि किशन ने समाजवादी पार्टी के रामभुआल निषाद को 3,01,664 वोटों से हराया था। 

यह स्थिति तब थी जब 2019 में सपा और बसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर रही थी। सपा ने इस सीट पर काजल निषाद को चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अभी अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। फिलहाल यह माना जा रहा है कि इस बार भी इस सीट पर भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच ही चुनावी संघर्ष होगा।

गोरखपुर का सियासी गणित

गोरखपुर शहर आर्य संस्कृति एक महत्वपूर्ण केंद्र है.विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस, गीता वाटिका के साथ टेराकोटा शिल्प के लिए गोरखपुर मशहूर है। इसके साथ ही इसे साहित्यकारों का भी शहर कहा जाता है। गोरखपुर कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली रही है तो मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी का गृह जिला भी। महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की शहादत स्थली के रूप में भी गोरखपुर को जाना जाता है।

गोरखपुर लोकसभा के अंदर पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इन सीटों के नाम हैं, गोरखपुर नगर, गोरखपुर ग्रामीण, कैम्पियरगंज, पिपराइच और सहजनवा हैं। गोरखपुर लोकसभा सीट में कुल 20,74,745 वोटर हैं। इनमें 11,12,023 पुरुष जबकि महिला वोटरों की संख्या 9,62,531 है। 2011 की जनगणना के अनुसार गोरखपुर की औसत साक्षरता दर 60.81% है। 

गोरखपुर की राजनीति कभी ब्राह्मण और बाबू साहब यानी ठाकुर के खेमे में बंटी रहती थी, बाद में ओबीसी और दलित आधारित पार्टियां आने के बाद धुरी बदल गई है। गोरखपुर में पिछड़े और दलित मतदाता ज्यादा हैं, यहां सबसे ज्यादा करीब 4 लाख निषाद वोटर हैं यह यहां निषाद जीत हार तय करने में निर्णायक हैं। 

इसके साथ ही दो लाख यादव, डेढ़ लाख मुस्लिम, डेढ़ लाख ब्राह्मण, करीब सवा लाख ठाकुर और एक लाख भूमिहार और एक लाख वैश्य वोटर हैं। जातियों के इस गणित के आधार पर ही गोरखपुर के बारे में कहा जाता है कि यहां जिस पार्टी का कैंडिडेट जीतता है उसका प्रभाव आसपास की कई लोकसभा सीटों पर भी पड़ता है।

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