प्रशांत चंद्र महालनोबिस: गूगल ने डूडल बना किया याद, जनसंख्या के समूहीकरण पर किया था बड़ा शोध

By मेघना वर्मा | Published: June 29, 2018 09:07 AM2018-06-29T09:07:48+5:302018-06-29T09:07:48+5:30

बायोमेट्रिक पत्रिका से प्रेरित होकर वह बैजेंद्रनाथ सिल के नेतृत्व में आगे बढ़े और सांख्यिकी पर काम शुरू कर दिया।

google doodle honours great indian scientist prasanta chandra mahalanobis, know his achievements | प्रशांत चंद्र महालनोबिस: गूगल ने डूडल बना किया याद, जनसंख्या के समूहीकरण पर किया था बड़ा शोध

google doodle honours great indian scientist prasanta chandra mahalanobis

वैज्ञानिक और भारत के सबसे बड़े सांख्यिकीविद प्रशांत चंद्र महालनोबिस को गूगन ने डूडल बनाकर उनके 125वें जन्मदिन पर याद किया है। आपको बता दें पीसी महालनोबिस की ही अध्यक्षता में राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया था। उन्होंने द्वितीय पंचवर्षीय योजना का मसौदा तैयार किया था। उनके जन्मदिवस के इसी मौके को देश भर में सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

जगदीश चन्द्र जैसे वैज्ञानिकों से ली थी शिक्षा

प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 में कोलकाता में हुआ था। इनका बचपन विद्वानों और सुधारकों के बीच हुआ। उनके प्रारंभिक जीवन की बात करें तो उनके पिता प्रबोध चंद्र महालनोबिस ब्रह्म समाज के सदस्य थे। उनकी माता भी निरोदबसिनी एक शिक्षित परिवार से थी। उनकी शुरूआती पढ़ाई उन्हीं के दादा के स्कूल ब्रह्म बॉयज स्कूल से हुई। वहां से मैट्रिक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने  कलकत्ता के प्रेसिंडेटी कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। जहां उनको जगदीश चन्द्र बोस और प्रफुला चंद्र रे के नेतृत्व में शिक्षा मिली। इसके बाद 1912 में प्रेसीडेंसी कॉलेज से भौतिकी में ऑनर्स किया और उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए। 

बायोमेट्रिका पत्रिका से मिला सांख्यिकी का ज्ञान

पीसी महालनोबिस जब इंग्लैंड लौटे तो उन्होंने वहां बायोमेट्रिका नामक पत्रिका खरीदी। यह एक सांख्यिकी जर्नल था। वह इस पत्रिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसका पूरा सेट खरीद डाला। बायोमेट्रिक पत्रिका से प्रेरित होकर वह बैजेंद्रनाथ सिल के नेतृत्व में आगे बढ़े और सांख्यिकी पर काम शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने मानव शास्त्र और मौसम विज्ञान जैसे विषयों में सांख्यिकी की उपयोगिता बताई। भारत में वापिस लौटने के बाद  प्रशांत चंद्र महालनोबिस नें सैंपल सर्वे की संकल्पना दी। आज इतने सालों बाद भी इसी सैंपल सर्वे के आधार पर योजनाएं और नीतियां बनाई जाती हैं। 

महालनोबिस दूरी का दिया थयोरम

1920 में उनकी मुलाकात नेल्सन एन्ननडेल से हुई। इन्हीं की वजह से महालनोबिस मानवमिति की समस्या के अध्ययन में रुचि जागी। नेल्सन ने ही उन्हेो कोलकाता के एंग्लो-इंडियन के मानवमिति मापों का अध्ययन करने को कहा। इसके बाद  प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने 1922 में सांख्यिकी से जुड़ा अपना पहला शोधपत्र लिखा। इसी अध्ययन में उन्होंने बहुचर दूरी माप का प्रयोग कर जनसंख्या के समूहीकरण और तुलना के एक अध्ययन का पता लगाया जिसे महालनोबिस दूरी सांख्यिकी माप कहा जाने लगा। 

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1959 में खुला भारतीय सांख्यिकी संस्थान

प्रशांत चंद्र महालनोबिस नें सांख्यिकी में दिलचस्पी रखने वाले कुछ मित्रों की सहायता से भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की। इस संस्थान ने सांख्यिकी के क्षेत्र में इतना सराहनीय काम किया कि 1959 में इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित कर डीम्ड यूनिर्वसिटी का दर्जा मिला। 

इंडियन साइंस का चुना गया अध्यक्ष

प्रशांत चंद्र महालनोबिस को 1944 में वेडल मेडल पुरस्कार से नवाजा गया। इसके बाद उन्हें 1945 में लंदन की रॉयल सोसाइटी नें उन्हें अपना फेलो नियुक्त किया। इन्हें इंडियन साइंस कांग्रेस का अध्यक्ष भी चुना गया। अमेरिका की इकोनॉमिक सोसायटी ने भी इन्हें अपना फेलो चुना। 1952 में रॉयल स्टैटिस्टिकल सोसाइटी का मानद फेलो नियुक्त किया। 1957 में उन्हें देवी प्रसाद सर्वाधिक स्वर्ण पदक और अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान का मानद अध्यक्ष बनाया गया। भारत सरकार नें उन्हें 1968 में पद्म विभूषण से नवाजा।  प्रशांत चंद्र महालनोबिस  का निधन उनके 79वें जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले 28 जून 1972 को हुआ।   

English summary :
Google Doodle honours great indian scientist Prasanta Chandra Mahalanobis and remembers him on his 125th birthday. Prasanta Chandra Mahalanobis was an Indian scientist and applied statistician, who is best remembered for the Mahalanobis distance, a statistical measure, and he was also one of the members of the first Planning Commission of free India.


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