भारत में अंधेपन के प्रसार में 2007 से अब तक 47 प्रतिशत की कमी आई है। बृहस्पतिवार को जारी सरकारी सर्वेक्षण में यह बात कही गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंधेपन को 2020 तक कुल जनसंख्या का 0.3 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है। सर्वेक्षण में संकेत दिया गया है कि भारत इस लक्ष्य को हासिल करने के करीब पहुंच गया है। भारत में 2006-07 में अंधेपन के शिकार लोगों की संख्या 1 करोड़ 20 लाख थी, जो 2019 में घटकर 48 लाख रह गई।
शोध में कहा गया है कि मोतियाबिंद अब भी 66.2 प्रतिशत के साथ अंधेपन का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। इसके बाद कॉर्निया खराब होने की वजह से होने वाले अंधेपन (7.4) का नंबर आता है। इसके अलावा मोतियाबिंद की सर्जरी की जटिलताओं के कारण होने वाले अंधेपन (7.2 प्रतिशत) में भी वृद्धि हुई है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा जारी राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृष्टिबाधित सर्वेक्षण (2019) के अनुसार अंधेपन का अनुमानित प्रसार 2006-2007 के 1.00 प्रतिशत की तुलना में गिरकर 0.36 प्रतिशत रह गया है। वर्तमान सर्वेक्षण एम्स के डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केन्द्र ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर 2015 और 2018 की अवधि के बीच कराया जिसमें 50 साल की आयु के 93,000 लोगों को शामिल किया गया।
पुलिस की सक्रियता से बची मंदबुद्धि युवक की जान
सकीट थानाक्षेत्र में गुरुवार को एक मंदबुद्धि युवक हाईटेंशन लाइन के खंभे पर चढ़ गया लेकिन पुलिस की सक्रियता से उसकी जान बच गयी । थाना प्रभारी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि दत्तपुर गांव निवासी मंदबुद्धि युवक रवीन्द्र बिजली विभाग की हाईटेंशन लाइन के खंभे पर चढ़ गया।
सिंह ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर उन्होंने तत्काल फोन कर बिजली सप्लाई बंद करायी तथा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए । उन्होंने बताया कि काफी अथक प्रयास एवं सूझबूझ से युवक को सकुशल पोल से उतारकर परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।