गुलाम नबी आजाद ने कहा, "कांग्रेस के ज्यादातर नेता पहले जमीनी कार्यकर्ता थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 5, 2023 02:41 PM2023-04-05T14:41:05+5:302023-04-05T14:45:31+5:30
गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी की संसद से अयोग्य करार दिये जाने के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की एकता की सराहना की लेकिन साथ में यह सवाल भी खड़ा कर दिया क्या अन्य विपक्षी दलों की परेशानी के वक्त में कांग्रेस भी उसी तरह से उनके साथ खड़ी रहती है।
दिल्ली:कांग्रेस के साथ लगभग पांच दशकों की जूझारू राजनीति करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस और राहुल गांधी से शिकायतें अब भी बरकरार हैं। गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी की संसद से अयोग्य करार दिये जाने के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की एकता की सराहना की लेकिन साथ में यह सवाल भी खड़ा कर दिया क्या अन्य विपक्षी दलों की परेशानी के वक्त में कांग्रेस भी उसी तरह से उनके साथ खड़ी रहती है।
कांग्रेस छोड़ने के बाद अब अपने राजनैतिक यात्रा पर 'आजाद' नाम से किताब लिखने वाले गुलाम नबी आजाद ने समाचार वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड से बात करते हुए युवाओं के राजनीति में आने के विषय पर कहा यदि आज के युवा अच्छे और सफल राजनेता बनना चाहते हैं तो उन्हें मौजूदा स्थिति से परिचित होना चाहिए। इसके लिए जरूरी नहीं कि वो किसी भी तरह की राजनीति में शामिल हों। हां लेकिन उन्हें राजनीति के बारे में अलग-अलग धारणाओं के बारे में जरूर जानना चाहिए।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राजनीति में आने वाले ज्यादातर लोग आत्मकेंद्रित होते हैं। वे विधायक, सांसद, मंत्री बनना चाहते हैं और उसके लिए जोर लगाते हैं। कोई पैसा कमाना चाहता है तो कोई अपने बिजनेस को प्रमोट करने के लिए राजनीति में एंट्री करता है। मेरे लिए राजनीति का मतलब इस के कामों या पैसे कमाने से नहीं है। राजनीति के लिए आपको विनम्र होने की जरूरत है। आपको अपने और लोगों के प्रति कुछ प्रतिबद्धता रखनी चाहिए। जब तक आप में खुद के प्रति, लोगों के प्रति, देश के प्रति प्रतिबद्धता नहीं हैं, तब तक आप एक अच्छे राजनेता नहीं बन सकते।
उन्होंने कहा कि वोट गांवों में होते हैं लेकिन आज की तारीख में कोई भी गांवों में नहीं जाना चाहता है। हर कोई पार्टी का प्रवक्ता बनना चाहता है ताकि उसे टीवी पर एक्सपोजर मिले और हर कोई उन्हें जाने। आज आप किसी भी राजनीतिक दल को देखें, वहां जाने वाले युवा नेता सबसे पहले प्रवक्ता बनना पसंद करते हैं। इसका मूल कारण है कि राजनीतिक दलों में आने वाले युवा लगभग शहरों में रहना चाहते हैं। सभी पार्टियों में ऐसा ही है।
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि आज के दौर में केवल भाजपा और सीपीएम ही ऐसी पार्टियां बची हैं, जो जमीनी स्तर पर काम करते हैं। लोगों से जुड़ने का प्रयास करते हैं। एक समय था, जब यूपी में मायावती की बसपा जमीनी स्तर पर काम करती थी लेकिन जैसे ही उसने जमीनी राजनीतिक छोड़ा, बसपा हार गई। ठीक उसी तरह कांग्रेस के ज्यादातर नेता पहले जमीनी कार्यकर्ता थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा, "जब मैं कांग्रेस का महासचिव था, तो मैंने अपना अधिकांश समय उस राज्य में बिताया था, जहां मुझे नियुक्त किया गया था। मैं दिल्ली बहुत कम आता था। मैं विश्वास के साथ कह सकता था कि मैं राज्य या जिला अध्यक्षों की तुलना में अधिक स्थानीय कार्यकर्ताओं को जानता हूं। स्थानीय संभावनाओं का मेरा आकलन उनकी तुलना में करीब था क्योंकि मैं जमीन पर काम करता था। लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ कांग्रेस पार्टी में महासचिवों या राज्य प्रभारियों ने अपने निर्धारित राज्यों में जाना कम कर दिया। वो राज्यों में कम समय बिताते थे। वे सुबह दिये गये राज्यों में जाते थे, पांच सितारा होटलों में बैठकें करते थे और फिर शाम की उड़ान से वापस दिल्ली लौट आते थे। इस कारण से लोगों से कांग्रेस से जुड़ाव टूट गया।"