गुवाहाटी, 10 फरवरी गौहाटी उच्च न्यायालय ने बुधवार को असम विधानसभा के सचिव ए एन डेका द्वारा जारी उस अधिसूचना को बरकरार रखा, जिसमें कांग्रेस विधायक देवव्रत सैकिया से सदन में विपक्ष के नेता के रूप में उनकी मान्यता वापस ले ली गई है।
सैकिया की मान्यता इस आधार पर वापस ले ली गई कि विधानसभा में कांग्रेस के पास सदस्यों की कुल संख्या का छठा हिस्सा नहीं है, जो अनिवार्य होता है।
न्यायमूर्ति अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ ने सैकिया की रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक जनवरी को विधानसभा सचिव द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई थी, जिस अधिसूचना के तहत 4 जून 2016 को सैकिया को विपक्ष के नेता के रूप में दी गई मान्यता वापस ले ली गई थी।
न्यायाधीश ने 12 जनवरी को पारित अंतरिम आदेश को भी वापस ले लिया, जब उन्होंने चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देने का आदेश जारी किया था और मान्यता वापस लेने पर रोक लगा दी थी।
सैकिया ने अपनी याचिका में कहा था कि अधिसूचना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के तहत उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है और असम विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नियम 11 (2) (आई) (सी) को भी अवैध रूप से लागू किया गया है।
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