वेतन, पेंशन कर्मचारियों का मौलिक अधिकार : दिल्ली उच्च न्यायालय

By भाषा | Published: April 5, 2021 04:16 PM2021-04-05T16:16:20+5:302021-04-05T16:16:20+5:30

Fundamental Rights of Salary, Pension Employees: Delhi High Court | वेतन, पेंशन कर्मचारियों का मौलिक अधिकार : दिल्ली उच्च न्यायालय

वेतन, पेंशन कर्मचारियों का मौलिक अधिकार : दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल उच्च न्यायालय ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम की एक याचिका खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि वेतन और पेंशन हासिल करना कर्मचारियों या सेवानिवृत्त कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है। निगम ने कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए और समय देने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पिल्लई की पीठ ने निगम की याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में सभी सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के बकाया भुगतान के लिए समय सीमा पांच अप्रैल से बढ़ाकर 30 अप्रैल करने का अनुरोध किया गया।

पीठ ने कहा, ‘‘वेतन और पेंशन पाना कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है। वेतन और पेंशन पाना संविधान के अंतर्गत जीवन और आजादी के अधिकार के तहत आता है। इसलिए हम ऐसा कोई आदेश जारी नहीं करना चाहते जिससे कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन हो।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि धन उपलब्ध नहीं होना, वेतन और पेंशन समय पर नहीं देने का आधार नहीं हो सकता।

पीठ ने कहा, ‘‘निगम ने कर्मियों को अपनी सेवाएं देने के लिए नियुक्त किया है। यह निगम पर है कि वह अपने कर्मचारियों को भुगतान का रास्ता तलाश करे।’’

उच्च न्यायालय ने नौ मार्च को दिल्ली के तीनों नगर निगमों (पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी) से पांच अप्रैल के पहले सभी श्रेणियों के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का बकाया भुगतान कर देने को कहा था।

पीठ ने कहा कि तीनों निगमों के आयुक्त इस निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे।

उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से पेश अधिवक्ता दिव्य प्रकाश पांडे ने सोमवार को इस आधार पर बकाया भुगतान के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध किया कि उसे दिल्ली सरकार से बेसिक टैक्स असाइनमेंट (बीटीए) का पूरा भुगतान नहीं हुआ है।

निगम के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने रकम का भुगतान किया लेकिन इसमें कुछ कटौती की गयी।

दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि यह इकलौती सरकार है जिसे नगर निगमों को भुगतान करने के लिए केंद्र से रकम नहीं मिलती और और उन्हें खुद ही इसके लिए रकम की व्यवस्था करनी पड़ती है।

पीठ ने कोष की कमी का मुद्दा उठाने और अखबारों में रोज पूरे पन्ने के नेताओं के विज्ञापन दिए जाने को लेकर भी सवाल उठाया।

पीठ ने कहा, ‘‘धन कहां से आ रहा है। इस समय प्रचार पर पैसे खर्च किए जा रहे हैं। क्या यह अपराध नहीं है। इन कर्मचारियों को वेतन का भुगतान कर देने से आपकी ख्याति और बढ़ेगी।’’

अदालत मामले पर अब 27 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

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Web Title: Fundamental Rights of Salary, Pension Employees: Delhi High Court

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