नई दिल्लीः विपक्ष ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि कोविड के हालात पर मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में ईंधन पर क्यों चर्चा की। कांग्रेस, आप, टीएमसी और शिवसेना ने कहा कि राज्यों से पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने के लिए कहकर पीएम राजनीति कर रहे हैं।
पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, पीएनजी और सीएनजी को लेकर देश की जनता परेशान है। विपक्ष ने कहा कि पीएम ठीकरा राज्यों पर फोड़ना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इसमें पाखंड नजर आता है और आरोप लगाया कि प्रत्येक लीटर पेट्रोल से विपक्षी दलों के शासन वाले राज्य भाजपा शासित राज्यों से दोगुनी आय अर्जित कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि केंद्र पर राज्य का 26,500 करोड़ रुपये बकाया है। ठाकरे ने केंद्र पर महाराष्ट्र के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल के मूल्य में वृद्धि के लिए जिम्मेदार नहीं है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर सब्सिडी देने के लिए पिछले तीन वर्षों में 1,500 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के कुछ घंटे बाद ममता का यह बयान आया है।
मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ एक डिजिटल संवाद में विपक्षी दलों द्वारा शासित महाराष्ट्र, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ईंधन की अधिक कीमतों का मुद्दा उठाया तथा राज्य सरकारों से आम आदमी के हित में मूल्य वद्धित कर (वैट) घटाने को कहा।
विपक्ष शासित कई राज्यों में पेट्रोल - डीजल की बढ़ती कीमत का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इन राज्यों से ‘‘राष्ट्र हित’’ में पेट्रोलियम उत्पादों पर से वैट घटा कर आम आदमी को राहत देने तथा वैश्विक संकट के इस दौर में सहकारी संघवाद की भावना के साथ काम करने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट कम नहीं किया जबकि केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में उत्पाद शुल्क कम कर दिया था। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनसे भाजपा नीत सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर कर के रूप में जमा 27 लाख करोड़ रुपये का हिसाब देने को कहा।
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी, कोई आलोचना नहीं, कोई ध्यान भटकाना नहीं, कोई जुमला नहीं। कृपया पेट्रोल और डीजल पर कर से भाजपा सरकार द्वारा जमा 27 लाख करोड़ रुपये का हिसाब दीजिए।’’ सुरजेवाला ने कहा कि 26 मई, 2014 को जब प्रधानमंत्री ने प्रभार संभाला था तब कच्चे तेल के दाम 108 डॉलर प्रति बैरल थे, लेकिन पेट्रोल और डीजल के दाम क्रमश: 71.41 और 55.49 प्रति लीटर थे, जबकि आज कच्चे तेल के दाम 100.20 डॉलर प्रति बैरल हैं, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़कर दिल्ली में क्रमश: 105.41 रुपये प्रति लीटर और 96.67 प्रति लीटर हैं।
शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने कोविड पर बैठक को राजनीति से जोड़ दिया। विपक्ष पर निशाना साधते हुए भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और झारखंड के मुख्यमंत्री ‘पाखंड’ कर रहे हैं जहां उनकी पार्टियां पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने की मांग करती रहती हैं लेकिन जब जिम्मेदारी उन पर आती है तो वे भारी राज्य कर वसूलते हैं और आम आदमी की समस्याओं को बढ़ा रहे हैं।
पात्रा ने ट्विटर पर एक ग्राफिक भी साझा किया जिसमें भाजपा शासित राज्यों द्वारा लागू स्थानीय करों की तुलना विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों में लागू करों से की। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने ट्वीट किया, ‘‘सहयोगात्मक संघवाद की भावना के अनुरूप प्रधानमंत्री मोदी जी बिल्कुल सटीक बात करते हैं। विरोध के बजाय विपक्ष शासित राज्यों को पेट्रोल और डीजल पर कर कम करना चाहिए जो उन्होंने केंद्र द्वारा कम किये जाने के बाद भी नहीं किया है। उन्हें नागरिकों को राहत देनी चाहिए।’’
(इनपुट एजेंसी)