पटना,14 फरवरी। कोरोना जांच के नाम पर बिहार में हुए तीन जिलों में गडबडझाला के खुलासे के बाद अब धीरे-धीरे इसका खुलासा अन्य जिलों में भी होता जा रहा है। अब भोजपुर के अलावे शिवहर और भागलपुर में भी गड़बड़ी से संबंधित कई तरह के मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना जांच कराये बिना भोजपुर के लोगों के मोबाइल पर दूसरे जिले के आईडी से मैसेज आ रहे हैं। इस तरह के कई मामले सामने आये हैं। यहां एक अधिवक्ता परिवार को जांच रिपोर्ट की मैसेज आने लगे हैं। शिवहर से भी ऐसी ही खबर सामने आई है। यहां भी कोरोना जांच को लेकर फर्जीवाडा सामने आया है।
फर्जीवाड़े को लेकर प्रभारी जिलाधिकारी विशाल राज ने बताया कि कोरोना जांच में पुरनहिया पीएचसी के द्वारा फर्जीवाडा किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रभारी चिकित्सक और स्वस्थय प्रबंधक से शो कॉज किया गया और प्रभारी चिकित्सक को हटा दिया गया है। साथ ही फार्मासिस्ट को बर्खास्त किया गया हैं। प्रभारी जिलाधिकारी ने कहा कि मामले की जांच जारी है और जो भी दोषी होंगे उनके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वही सिविल सर्जन डॉ राजदेव प्रसाद सिंह ने बताया कि फार्मासिस्ट को बर्खास्त करते हुए दो कर्मियों का संविदा रद्द किया गया हैं।
उधर, भोजपुर जिले के आरा सिविल कोर्ट के अधिवक्ता नरेंद्र कुमार सिंह के पास बिना जांच कराये ही उनके मोबाइल पर एंटीजन जांच की रिपोर्ट भेज दी गई है। भेजे गये मैसेज में कहा गया है कि 11 जनवरी को कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल लिया गया था। एंटीजन जांच में रिपोर्ट निगेटिव पाई गई है। अधिवक्ता के मोबाइल पर कुल चार मैसेज आये हैं।
इनमें उनकी बेटी, बेटा व एक अन्य का नाम शामिल है। जिस राजनारायण सिंह के नाम का उल्लेख उनके मैसेज में किया गया है, उस नाम से उनके परिवार में कोई है ही नहीं। अधिवक्ता ने बताया कि 11 जनवरी को वे या उनके परिवार के किसी सदस्य ने एंटीजन जांच नहीं कराई है। ऐसे में निगेटिव या पॉजिटिव आने का सवाल कहां है? वहीं, जिला स्वास्थ्य समिति में इसकी जांच कराने पर यह मामला सामने आया है कि जिस आईडी से अधिवक्ता को मैसेज गया है, वह भोजपुर का नहीं होकर कैमूर जिले का है।
ऐसे में भोजपुर के लोगों को कैमूर के आईडी से मैसेज आने पर अधिवक्ता ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए इसे गलत बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले तीन दिसंबर को मुंडेश्वरी भवानी व वाराणसी की यात्रा की थी। लेकिन उस समय वहां भी किसी तरह की जांच नहीं की गई थी। इसके पूर्व भी आरा शहर की अमीरचंद कॉलोनी की आठ वर्षीया बच्ची के बारे में उसके अभिभावक के मोबाइल पर मैसेज आया था। मैसेज में 17 अक्टूबर को जांच कराने की बात कही गई थी, जबकि अभिभावक का कहना है कि चार माह पूर्व जांच कराई गई थी।
इस तरह के कई मामले भागलपुर जिले से भी सामने आये हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि बिहार में कोरोना जांच के नाम पर बडे पैमाने पर फर्जीवाडा किया गया है। अधिकतर जांच केवल कागजी हुए हैं। इसतरह अब नीतीश सरकार के कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। हालांकि कल शिवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत इस मामले पर लीपापोती के प्रयास में जुटे दिखे थे। उन्होंने कहीं गडबडी की बात को सिरे से नकारते हुए केवल टाईपिंग मिस्टेक बताने में जुटे दिखे थे। अर्थात कुछ दिनों में मामले में लीपापोती की पूरी तैयारी कर ली गई है।