उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी (एनडी तिवारी) का गुरुवार (18 अक्टूबर) को दिल्ली के मैक्स अस्पताल में 93 साल की उम्र में निधन हो गया। बता दें, तिवारी लंबे समय से बिमार चल रहे थे।मिली जानकारी के अनुसार, एनडी तिवारी ने दिल्ली के साकेत के मैक्स अस्पताल में दिन के करीब ढाई बजे अंतिम सांस ली। उनका आज दिन्मदिन भी था। वह दो राज्यों के सीएम रहे हैं।
भारतीय राजनीति के रहे चर्चित चेहरे
भारतीय राजनीति में नारायण दत्त तिवारी काफी चर्चित चेहरा रहे हैं। उन्हें लोग अक्सर एनडी तिवारी के नाम से बुलाते हैं। उनका जन्म 1925 में नैनीताल जिले के बलूती गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम पूर्णानंद तिवारी था, जोकि वन विभाग में अधिकारी थे। पिता के अधिकारी होने की वजह से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी रही, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अपने भविष्य में आर्थिक संटक का सामना नहीं करना पड़ा।
ब्रिटिश सरकार ने जेल में डाला
बताया जाता है कि एनडी तिवारी के पिता आजादी की लड़ाई में शामिल थे और उन्होंने अपने पिता की तरह की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्हें 1942 में ब्रिटिश सरकार की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ काम करने के आरोप गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद जेल भेज दिया गया। यहां उनके पिता पूर्णानंद तिवारी पहले से ही बंद थे। उन्हें ब्रिटिश सरकार ने करीब 15 महीने जेल में रखा और 1944 में वह जेल से बाहर आए।
यहां की एनडी तीवारी ने पढ़ाई शिक्षा
जेल से बाहर आने के बाद एनडी तिवारी अपनी पढ़ाई को आने बढ़ाया। इस दौरान उनके पिता का ट्रांसफर होने की वजह से पढ़ाई में उन्हें थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि एक से दूसरे शहर में रहते हुए उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय राजनीतिशास्त्र में एमए की। साथ ही साथ एलएलबी की डिग्री भी हासिल की। इसी दौरान 1947 में उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद से ही वह भारतीय राजनीति के सफर पर निकल पड़े। यही उनके जीवन पहली सियासी सीढ़ी मानी जाती है।