पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा ने राज्यसभा में हंगामा और हाल में समाप्त हुए संसद सत्र के दौरान आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा किए बगैर समय की बर्बादी पर रविवार को दुख जताया और कहा कि सांसद के रूप में अपने 30 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा था। गौड़ा ने कहा कि 11 अगस्त को मॉनसून सत्र समाप्त होने के बाद उन्होंने विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की थी और उनसे कहा था कि लोगों को प्रभावित करने वाले किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। जद (एस) के नेता ने यहां पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘सत्तारूढ़ दल एवं विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण मैं मॉनसून सत्र में कुछ नहीं बोल पाया। कोई काम नहीं हुआ और सत्र बर्बाद हो गया।’’ राज्यसभा के अंदर सांसदों के हंगामे पर उन्होंने कहा, ‘‘सत्तारूढ़ दल एवं विपक्षी दलों के सदस्यों के व्यवहार से मैं दुखी हूं... लोग अध्यक्ष के आसन के समीप टेबल पर चढ़ गए। सांसद के रूप में 30 वर्षों में मैंने इस तरह की घटनाएं नहीं देखी हैं।’’ उन्होंने कहा कि समाज के लिए इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं है क्योंकि यह लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास दिखाता है और देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले महान लोगों का यह अपमान है। पेगासस जासूसी मुद्दे पर सदन के अंदर हंगामा करने के लिए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने चार अगस्त को टीएमसी के चार सांसदों को निलंबित कर दिया था।
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