पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है और वह दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं। प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने अपने पिता की तबीयत के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि प्रणब मुखर्जी अब हेमोडाइनेमिकली स्टेबल हैं। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपने पिता के लिए प्रार्थनाएं करते रहने की अपील की।
अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा, "आपकी सभी प्रार्थनाओं के साथ मेरे पिता अब हेमोडाइनेमिकली स्टेबल हैं। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि उनके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए सभी अपनी प्रार्थनाएं और शुभकामनाएं जारी रखें। धन्यवाद।"
प्रणब मुखर्जी की बेटी ने ट्विटर पर लिखा भावुक मैसेज
इससे पहले प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट कर एक भावुक मैसेज शेयर किया था। उन्होंने लिखा कि "पिछले साल 8 अगस्त का दिन मेरी जिंदगी के सबसे खुशी के दिन में से एक था, जब मेरे पिता को भारत रत्न मिला। अब एक साल बाद 10 अगस्त को वो गंभीर रूप से बीमार हो गए। भगवान उनके लिए अच्छा करे और मुझे जिंदगी के सुख-दुख स्वीकार करने की क्षमता दे। मैं सभी का शुक्रिया अदा करती हूं।"
मेडिकल बुलेटिन के अनुसार प्रणब मुखर्जी का स्वास्थ्य नाजुक
बता दें कि आर्मी अस्पताल ने बुधवार शाम को प्रणब मुखर्जी का मेडिकल बुलेटिन जारी किया था, जिसमें कहा था, "प्रणब मुखर्जी का स्वास्थ्य नाजुक बना हुआ है। इस समय उनकी हालत स्थिर है और वह वेंटिलेटर पर हैं।"
10 दिसंबर को अस्पताल में कराया गया था भर्ती
प्रणव मुखर्जी को गंभीर हालत में 10 अगस्त 2020 को दिन में 12.07 बजे दिल्ली कैंट स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में पता चला कि उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जमा हुआ है, जिसके बाद इमर्जेंसी में सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद से ही उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। अस्पताल पहुंचने के बाद कोरोना प्रोटोकॉल के तहत जब उनकी जांच की गई तब वह कोविड-19 से भी संक्रमित पाए गए थे।
प्रणब मुखर्जी साल 2012 चुने गए थे राष्ट्रपति
साल 2012 में यूपीए की ओर से वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुने गए और जुलाई 2012 में उन्होंने पदभार ग्रहण कर लिया। बतौर राष्ट्रपति उन्होंने कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने मौत की सजा पाए आतंकी अजमल कसाब, अफजल गुरु और याकूब मेमन समेत 24 लोगों की दया याचिका खारिज की थी। वह 2017 में इस पद से रिटायर हो गए और इसके साथ ही उन्होंने सक्रिय राजनीति से भी संन्यास ले लिया था।