पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार बने
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 5, 2020 18:16 IST2020-03-05T18:16:56+5:302020-03-05T18:16:56+5:30
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग 2014 में केंद्र सरकार से जुड़े और विश्वबैंक में कार्यकारी निदेशक बने। वहां वह 2017 तक काम किया और जून 2017 में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव बने। वर्ष 2018 में वह हसमुख अधिया के सेवानिवृत्त होने के बाद वित्त सचिव बने।

मौजूदा आर्थिक नरमी से संकट और बढ़ा है। इसका भरोसेमंद समाधान निकालने की उम्मीद है।
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार बने हैं। गर्ग ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। पूर्व वित्त सचिव ने पिछले साल अचानक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।
वह 2014 में केंद्र सरकार से जुड़े और विश्वबैंक में कार्यकारी निदेशक बने। वहां वह 2017 तक काम किया और जून 2017 में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव बने। वर्ष 2018 में वह हसमुख अधिया के सेवानिवृत्त होने के बाद वित्त सचिव बने। पिछले साल जुलाई उनका तबादला वित्त मंत्रालय से बिजली मंत्रालय में किया गया।
गर्ग ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘आंध्र प्रदेश सरकार के साथ मुख्यमंत्री का परामर्शदाता, संसाधन के रूप में जुड़ने से खुश हूं। राज्य ने नवरत्नालु के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना का कुशल एवं प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन किया है। राज्य को विरासत में वित्तीय दबाव मिला है। मौजूदा आर्थिक नरमी से संकट और बढ़ा है। इसका भरोसेमंद समाधान निकालने की उम्मीद है।’’
धीरज रस्तोगी को जीएसटीएन का वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया
वरिष्ठ नौकरशाह धीरज रस्तोगी को माल एवं सेवाकर नेटवर्क (जीएसटीएन) का वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। कार्मिक मंत्रालय के एक आदेश में यह कहा गया है। रस्तोगी, 1994 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क एवं केन्द्रीय उत्पाद शुल्क) अधिकारी है। वर्तमान में वह जीएसटी परिषद सचिवालय में संयुक्त सचिव हैं।
आदेश में कहा गया है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटीएन की मूल्ण् वर्धन सेवाओं में रस्तोगी को वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति को मंजूरी दी है। उन्हें 25 फरवरी 2024 तक प्रतिनियुक्ति के तौर पर यहां भेजा गया है। जीएसटीएन एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है जिसमें 51 प्रतिशत इक्विटी गैर- सरकारी वित्तीय संस्थानों के हाथ में है।
इस कंपनी को प्राथमिक रूप से देश में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को अमल में लाने के लिये केन्द्र और राज्य सरकारों को सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा उपलब्ध कराने के लिये बनाया गया। जीएसटी के पूरे कंप्यूटर नेटवर्क का रखरखाव और परिचालन यही कंपनी करती है।