लोकमत एक्सक्लूसिव: PMO के निर्देश, तत्काल प्रभाव से मंत्रियों के पांच साल पुराने निजी सचिव बदले जाएं
By संतोष ठाकुर | Published: June 27, 2019 08:19 AM2019-06-27T08:19:40+5:302019-06-27T08:19:40+5:30
एक बड़े मंत्री की इच्छा के विरूद्ध उनके निजी सचिव के रूप में अपनी पसंद के अधिकारी को नियुक्त करने की प्रक्रि या भी शुरू कर दी है.
भाजपा के बड़े नेता और सरकार के सबसे प्रभावी मंत्रियों में शामिल एक मंत्री को पीएमओ ने उनके पुराने निजी सचिव और ओएसडी, विशेष कार्याधिकारी, को फिर से नियुक्ति करने से स्पष्ट इनकार कर दिया है. इसके साथ ही पीएमओ ने सभी मंत्रियों को स्पष्ट किया है कि वे अपने पुराने निजी सचिव और ओएसडी को त्वरित प्रभाव से कार्य मुक्त करें और उनकी जगह नए लोगों को अपने साथ लाएं.
यही नहीं, एक बड़े मंत्री की इच्छा के विरूद्ध उनके निजी सचिव के रूप में अपनी पसंद के अधिकारी को नियुक्त करने की प्रक्रि या भी शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक पीएमओ ने उद्योग भवन में पदभार संभालने वाले एक प्रभावशाली मंत्री को उनके पुराने निजी स्टाफ को फिर से रखने से मना कर दिया है.
यहीं पर स्थित एक अन्य मंत्रालय के प्रभारी मंत्री को भी उनके पुराने स्टाफ की संख्या कम करने की सलाह दी गई है, जबकि साउथ ब्लाक में पदभार ग्रहण करने वाले एक मंत्री से पूछा गया है कि पुराने मंत्री के साथ रहे अधिकारी को त्वरित आधार पर नई नियुक्ति पर जाने से क्यों रोका गया है.
इस अधिकारी की नई नियुक्ति भी हो गई है. इसी तरह से शास्त्री भवन में कार्यभार संभालने वाले एक मंत्री को लेकर यह चर्चा है कि उन्हें कहा गया है कि वह अपने निजी सचिव को तुरंत रिलीव करें. इस निजी सचिव की भी नियुक्ति कहीं और हो गई है, लेकिन सरकार गठन के बाद भी वह लगातार अपने स्थान पर बना हुआ है.
प्रशासन में स्वच्छता और पारदर्शिता के लिए यह व्यवस्था
सूत्रों के मुताबिक यह निर्देश प्रशासन में स्वच्छता और पारदर्शिता लाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के तहत दिया गया है. पीएमओ का मानना है कि ऐसा कोई भी स्टाफ किसी मंत्री के साथ नहीं रहना चाहिए जिसको लेकर यह कहा जाए कि वह पुराने हैं या मंत्री के करीबी हैं या मंत्री के साथ हमेशा बने रहते हैं. इस तरह के आकलन से सरकार को लेकर नकारात्मक छवि बनती है, जिसे प्रधानमंत्री पसंद नहीं करते हैं.