राहुल को नहीं पता! भरी संसद में दिग्गज कांग्रेस नेता ने 1984 पर कहा था- मेरा सिर शर्म से झुका है

By जनार्दन पाण्डेय | Updated: August 29, 2018 20:21 IST2018-08-29T07:44:30+5:302018-08-29T20:21:34+5:30

2005 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री व दिग्गज कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह ने संसद में 1984 के दंगों के लिए सार्वजनिक तौर पर देश से माफी मांगी थी।

five veterans Congress leaders have gone on 1984 riots case | राहुल को नहीं पता! भरी संसद में दिग्गज कांग्रेस नेता ने 1984 पर कहा था- मेरा सिर शर्म से झुका है

बायीं ओर पिता राजीव को गले लगाते राहुल, दाहिनी तरफ दिल्ली के त्रिलोकपुरी में सिख दंगे के पीड़ित (फाइल फोटो)

Highlights 1984 में हुए दंगों में करीब 3,000 सिख मारे गए थे। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। दंगे की शुरुआत इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षक द्वारा उनकी हत्या के बाद हुई थीइंदिरा के बाद उनके बेटे राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थीकई दिग्गज कांग्रेस नेता भी मानते हैं कि दंगे में कुछ लोग लो कांग्रेस से जुड़े हुए थे वे दंग में संलिप्त थे

नई दिल्ली, 29 अगस्तः कई मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसे दावे हुए कि मोदी काल में देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। विपक्ष ने इसे हाथों-हाथ लिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जैसे ऐसी किसी रिपोर्ट की ताक में रहते हों। उन्होंने कई मीडिया रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए देश में मॉब लिंचिंग को लेकर चिंताएं जाहिर कीं। इसी बीच मॉनसून सत्र में सदन की कार्यवाही के दौरान जब विपक्ष मौका मिला तो जमकर मॉब लिंचिंग शब्द उछला। कई बार संसद को स्‍थगित करना पड़ा। एक ऐसे ही सवाल के जवाब में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, अध्यक्ष महोदया- देश में अगर सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग की कोई घटना हुई है, तो वो 1984 में हुई है।

बस फिर क्या, जाग गया 1984 का जिन्न। चूंकि 2019 के लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। मुद्दे के और जोर पकड़ने की संभावना है। इसका प्रमाण भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता तेजिंदर सिंह बग्गा की ओर से दिल्ली की सड़कों पर लगाए जा रहे ये पोस्टर हैं। जिनपर लिखा है- राजीव गांधी, द फादर ऑफ मॉब लिंचिंग।


जनश्रुति और मेरे‌ सिख दोस्तों का कहना है कि सिख समुदाय का बच्चा-बच्चा इस वाक्य का पूरा मतलब समझता है कि क्यों राजीव गांधी को मॉब लिंचिंग का जनक बताया जा रहा है। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि 1984 दंगे में कांग्रेस का हाथ रहा है। पहले यह बता देना जरूरी है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षक द्वारा हत्या के बाद 1984 में हुए दंगों में करीब 3,000 सिख मारे गए थे। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। इंदिरा गांधी की मृत्यु के ठीक बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे।

देश में फिलहाल मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर हमलावर हुई कांग्रेस को यही घटना याद दिला रही है। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने दो दिवसीय ब्रिटेन दौरे पर यह कहकर चर्चा में आ गए हैं कि चौरासी दंगे में कांग्रेस शामिल नहीं थी। राहुल ने कहा, "मुझे लगता है कि किसी के भी खिलाफ कोई भी हिंसा गलत है। भारत में कानूनी प्रक्रिया चल रही है लेकिन जहां तक मैं मानता हूं उस समय कुछ भी गलत किया गया तो उसे सजा मिलनी चाहिए और मैं इसका 100 फीसदी समर्थन करता हूं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसमें कांग्रेस शामिल थी"

राहुल गांधी के इस बयान के बाद ही कई पत्रकारों व उस दौर को अपनी आंखों को देख चुके लोगों ने उन्हें कई ऐसे साक्ष्य उठाकर पेश कर दिए जिनमें कांग्रेस की संलिप्तता जाहिर हो रही थी। रामचंद्र गुहा जैसे इतिहासकार ने सिविल लिबर्टीज फॉर पीपुल्स यूनियन (पीयूसीएल) की 2003 की रिपोर्ट को ट्वीट किया। इस रिपोर्ट में 1984 के दंगों के कारणों और उसके प्रभावों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी।


राहुल गांधी बस इसी रिपोर्ट को पढ़ लें तो उन्हें अंदाजा हो जाएगा कि कांग्रेस किस तरह इन दंगों में संलिप्त थी। नहीं तो राहुल के बयान के ठीक बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता व पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का बयान देख लें। इसमें उन्होंने राहुल गांधी को बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन फिर भी उन कांग्रेस नेताओं का नाम लेने से नहीं बच पाए जो इस घटना में संलिप्त थे। अमरिंदर ने कहा कि धर्मदास शास्‍त्री, अर्जुन दास, सज्जन कुमार और दो और लोग इसमें शामिल थे। ये दो लोग कौन थे? इसके जवाब में शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हो सकता है वे (अमरिंदर सिंह) जगदीश टाइटलर के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखते हों।


पर सुखबीर ने भी दूसरा नाम नहीं बताया। उम्मीद है वे भी कांग्रेस नेता आरके धवन का नाम लेने से बच रहे हों। असल में दिग्गज कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर हों या आरके धवन लंबे समय तक इन पर इस मामले को लेकर मुकदमा चलता रहा। लेकिन बाद में सबूतों के अभाव में इन्हें मुकदमे से बरी कर दिया गया था। 

या फिर राहुल गांधी अगर 2005 के अपने शीर्ष नेता व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भरी संसद में देश से 1984 को लेकर मांगी गई माफी को ही देख लेते, तभी वह इस नतीजे पर ना पहुंचते कि कांग्रेस इस मामले में शामिल नहीं थी। 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था, 'पूरे सिख समुदाय से, पूरे देश से, देश के हरेक नागरिक से मैं सरकार की ओर से 1984 के दंगों के ‌लिए माफी मांगता हूं। मेरा सिर शर्म से झुका हुआ है, क्योंकि एक ऐसी घटना हमारे देश में घटी थी।'

मुझे सिख समुदाय से माफी मांगने में कोई गुरेज नहीं है। मैं केवल सिख समुदाय से ही नहीं बल्कि पूरे देश से 1984 के लिए माफी मांगता हूं। क्योंकि तब राष्ट्रवाद के कॉन्सेप्ट और हमारे संविधान की अवमानना हुई थी। इसलिए मैं किसी भी झूठी प्रतिष्ठा पर इतराना नहीं चाहूंगा। यह ऐसी घटना थी जिसके लिए मैं अपनी सरकार की ओर से, देश की जनता की ओर से अपना सिर शर्म से झुकाता हूं।- साल 2005, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 1984 पर संसद में माफी

My View: राहुल के बयान के बाद सोशल मीडिया में एक और बहस छिड़ी है- 1984 के दंगों के समय राहुल गांधी बच्चे थे। उनसे 1984 पर जवाब मांगना ठीक नहीं है। लेकिन राहुल गांधी का जन्म 1970 का है। चौरासी के दंगों के वक्त राहुल गांधी 14 साल के होंगे। भारत में 14 साल की उम्र में बच्चों को इतना बड़ा माना जाता है कि वह घटनाओं के बारे में जानकारी रख सकते हैं।

Web Title: five veterans Congress leaders have gone on 1984 riots case

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