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दिवाली से पहले सदर बाजार में नहीं दिख रहे पटाखे, बीते वर्ष SC ने दिया था हरित पटाखे बेचने का आदेश

By भाषा | Updated: October 24, 2019 15:51 IST

सदर बाजार पटाखा और व्यापार संगठन के अध्यक्ष नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि इस बार केवल 12 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन दिया जिसमें से केवल सात लोगों को इस हफ्ते लाइसेंस मिला। सदर बाजार महानगर में पटाखों का थोक बाजार भी है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले करीब 80 व्यापारी लाइसेंस लेकर पटाखे बेचते थे। ज्यादा हरित पटाखे उपलब्ध नहीं हैं। बिक्री बहुत कम है। कोई भी जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं है।’’

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ठळक मुद्देदिवाली से पहले गुलजार है लेकिन वहां पटाखे कहीं नहीं दिख रहे हैं।प्रति वर्ष दिवाली के आसपास दिल्ली की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है

राजधानी के सदर बाजार में दिवाली से पहले गुलजार है लेकिन वहां पटाखे कहीं नहीं दिख रहे हैं। प्रति वर्ष दिवाली के आसपास दिल्ली की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है जिसे देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने 2018 में प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर रोक लगा दी थी और आदेश दिया था कि केवल हरित पटाखे बनाए और बेचे जाएंगे जो करीब 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं।

सदर बाजार पटाखा और व्यापार संगठन के अध्यक्ष नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि इस बार केवल 12 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन दिया जिसमें से केवल सात लोगों को इस हफ्ते लाइसेंस मिला। सदर बाजार महानगर में पटाखों का थोक बाजार भी है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले करीब 80 व्यापारी लाइसेंस लेकर पटाखे बेचते थे। ज्यादा हरित पटाखे उपलब्ध नहीं हैं। बिक्री बहुत कम है। कोई भी जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं है।’’

अधिकारियों के मुताबिक स्टैंडर्ड फायरवर्क्स, बालाजी फायरवर्क्स, विनयगा इंडस्ट्रीज और कोरोनेशन फायवर्क्स सहित 30 से भी कम निर्माताओं को भारत भर में हरित पटाखे बनाने का लाइसेंस मिला है। गुप्ता ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अगले वर्ष बाजार में पर्याप्त संख्या में हरित पटाखे मिलेंगे जिससे उनकी कीमत भी कम होगी।’’

केंद्रीय स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्द्धन ने अक्टूबर की शुरुआत में हरित पटाखों की शुरुआत की थी जिसे सीएसआईआर-एनईईआरआई के नेतृत्व में कई प्रयोगशालाओं में विकसित किया जा रहा है। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान (सीएसआईआर- एनईईआरआई) के मुताबिक हरित पटाखों में राख का प्रयोग कम होता है, कच्ची सामग्री का इस्तेमाल कम होता है और पार्टीकुलेट मैटर, सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन डायऑक्साइड जैसे प्रदूषकों की कम मात्रा का प्रयोग किया जाता है।

सदर बाजार में दुकानदार बिट्टू ने कहा कि लाइसेंस के लिए अधिकतर आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिए गए कि दुकानें संकरी गलियों में हैं और वहां सुरक्षा उपायों की कमी है। बहरहाल, बाजार के बीच में कुछ दुकानें हैं जो परंपरागत पटाखे छिपा कर बेच रहे हैं। ‘दीया’ और लालटेन जैसे सजावटी सामान बेचने वाले 32 वर्षीय राजेश ने बताया, ‘‘भाग्य आजमा लीजिए। आपको हर चीज मिलेगी। सिर्फ पकड़ा नहीं जाना चाहिए। बेचने वाले और खरीदने वाले पर पांच लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है।’’

नजदीक के जामा मस्जिद इलाके में इस बार कई व्यापारियों ने पटाखा बेचने से दूरी बना ली है। बुधवार को बाजार के दौरे में केवल दस से 12 दुकानों पर केवल हरित पटाखे बेचते हुए पाया गया और दुकानदार बिक्री में गिरावट को लेकर दुख जाहिर कर रहे थे। 

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