बाबा बर्फानी को पिघलने से रोक नहीं पा रहे हैं कई सालों से लगे फेंसिंग और लोहे के ग्रिल

By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 12, 2023 02:59 PM2023-06-12T14:59:27+5:302023-06-12T15:03:13+5:30

अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड द्वारा शिवलिंग को पिघलने से बचाने के लिए लगाये गये लोहे व शीशे की ग्रिल फेल नजर आ रहे हैं और बोर्ड को फिलहाल हिमलिंग को बचाने का कोई रास्ता सूझ नहीं रहा है।

Fencing and iron grills installed for many years are not able to stop Baba Barfani from melting | बाबा बर्फानी को पिघलने से रोक नहीं पा रहे हैं कई सालों से लगे फेंसिंग और लोहे के ग्रिल

बाबा बर्फानी को पिघलने से रोक नहीं पा रहे हैं कई सालों से लगे फेंसिंग और लोहे के ग्रिल

Highlightsअमरनाथ श्राइन बोर्ड भीषम गर्मी से बाबा बर्फानी को पिघलने से बचाने के लिए बेहद परेशान है बोर्ड ने पहले लोहे और शीशे के ग्रिल से शिवलिंग को घेरा था, लेकिन वो प्रयास नाकाफी रहे थे गर्मी के कारण पिछले साल भी 18 फुट का हिमलिंग पिघलकर कुछ ही दिनों में अंतर्ध्यान हो गया था

जम्मू: पिछले कई सालों से अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के सारे अनुमान धरे के धरे रह जाते हैं क्योंकि जिस लोहे व शीशे की ग्रिल का सहारा हिमलिंग को बचाने के लिए कई सालों से प्रयास किया जा रहा है वह भी उसे पिघलने से इसलिए नहीं बचा पा रहे हैं। पिछले साल भी 18 फुट का हिमलिंग पिघलकर कुछ ही दिनों में अंतर्ध्यान हो गया था।

अबकी बार क्या होगा यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। दरअसल भक्तों की सांसों की गर्मी के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी ऐसा हो रहा है। अब इससे निपटने का तरीका अत्याधुनिक तकनीक का ही सहारा है पर श्राइन बोर्ड फिलहाल तकनीक का सहारा क्यों नहीं ले पा रहा है, इसके पीछे के कारण स्पष्ट नहीं हैं।

श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के बकौल अमरनाथ की गुफा को तकनीक के सहारे ठंडा और वातानुकूलित बनाने की योजना श्राइन बोर्ड ने उसी समय तैयार की थी जब वह अस्तित्व में आया था। लेकिन यह मामला कई साल तक कोर्ट में रहा जिस कारण श्राइन बोर्ड इस संबंध में कोई कदम उठाने से परहेज कर रहा है।

अधिकारी कहते हैं कि गुफा को पूरी तरह से वातानुकूलित करने के लिए आइस स्केटिंग रिंक तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना है। इसी के तहत कई अन्य प्रस्तावों पर भी विचार किया गया था, जिनमें एयर कर्टन, रेडियंटस कूलिंग पैनलस और फ्रोजन ब्राइन ट्रे का इस्तेमाल भी किया जाना था।

अधिकारियों का कहना था कि इनमें से कई तकनीकों का सफल प्रयोग मुंबई, श्रीनगर तथा गुलमर्ग में कर लिया गया था लेकिन अमरनाथ गुफा में इनका प्रयोग करने से पूर्व ही माननीय कोर्ट ने कुछ साल पहले रोक लगा दी थी जब गुफा में कथित तौर पर कृत्रिम हिमलिंग बनाने का मामला उठा था। हालांकि, वे कहते थे कि श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को रेडियंट कूलिंग पेनलस का विकल्प बहुत ही जायज लगा था लेकिन हाईकोर्ट द्वारा इस पर रोक लगा दिए जाने के कारण मामला अंतिम चरण में जाकर रूक गया था।

विशेषज्ञों के मुताबिक अमरनाथ ग्लेशियरों से घिरा है। ऐसे में ज्यादा लोगों के वहां पहुंचने से तापमान के बढ़ने की आशंका होगी। इससे ग्लेशियर जल्दी पिघलेंगे। साल 2016 में भी भक्तों की ज्यादा भीड़ के कारण हिमलिंग तेजी से पिघल गया था। आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष यात्रा के महज 10 दिन में ही हिमलिंग पिघलकर डेढ़ फीट के रह गए थे। तब तक महज 40 हजार भक्तों ने ही दर्शन किए थे।

साल 2016 में प्राकृतिक बर्फ से बनने वाला हिमलिंग 10 फीट का था, जो अमरनाथ यात्रा के शुरूआती सप्ताह में ही आधे से ज्यादा पिघल गया था। ऐसे में यात्रा के शेष 15 दिनों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु हिमलिंग के साक्षात दर्शन नहीं कर सके थे।

साल 2013 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान हिमलिंग की ऊंचाई कम थी। उस वर्ष हिमलिंग महज 14 फुट के थे। लगातार बढ़ते तापमान के चलते वे अमरनाथ यात्रा के पूरे होने से पहले ही अंतरध्यान हो गए थे। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2013 में हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण तापमान में वृद्धि था। उस वक्त पारा 34 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था।

साल 2018 में भी बाबा बर्फानी के तेजी से पिघलने का सिलसिला जारी था। पिछले साल 29 जून से शुरू हुई 43 दिवसीय इस यात्रा में एक महीने बीतने पर करीब दो लाख 70 हजार यात्रियों ने दर्शन किए थे और 16 दिनों के बाद ही दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के साक्षात दर्शन नहीं हुए क्योंकि बाबा दर्शन देने से पहले ही अंतर्ध्यान हो गए थे।

Web Title: Fencing and iron grills installed for many years are not able to stop Baba Barfani from melting

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे