Article 370: फारूक अब्दुल्ला पर बीती रात लगाया गया पीएसए, दो साल के लिए जेल में डाले गए, घर बना अस्थाई कारावास

By सुरेश डुग्गर | Published: September 16, 2019 05:03 PM2019-09-16T17:03:31+5:302019-09-16T17:03:56+5:30

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला को राज्य प्रशासन ने जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बना लिया है।

Farooq Abdullah, 83, Detained Under Tough Public Safety Act | Article 370: फारूक अब्दुल्ला पर बीती रात लगाया गया पीएसए, दो साल के लिए जेल में डाले गए, घर बना अस्थाई कारावास

जम्मू कश्मीर में पीएसए को पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने वर्ष 1978 में लागू किया था।

Highlightsडा फारूक अब्दुल्ला को राज्य सरकार ने बीती रात ही पीएसए के तहत बंदी बनाया है। अलगाववादियों को भी अक्सर इसी कानून के तहत बंदी बनाया जाता रहा है।

राज्य सरकार ने सुधरते हालात के दावों के बीच श्रीनगर से सांसद चुने गए और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला पर भी पीएसए अर्थात जन सुरक्षा अधिनयम लागू करते हुए उन्हें दो साल के लिए जेल में डाल दिया है। फिलहाल उनके घर को ही अस्थाई जेल में परिवर्तित कर दिया गया है।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला को राज्य प्रशासन ने जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बना लिया है।

पीएसए के तहत बंदी बनाए जाने वाले वह राज्य के पहले सांसद हैं। इसके अलावा उन्हें जहां रखा गया है, उसे अस्थायी जेल का दर्जा दिया गया है। डा फारुक अब्दुल्ला अपने ही मकान में बंद हैं।

डा फारूक अब्दुल्ला को राज्य सरकार ने बीती रात ही पीएसए के तहत बंदी बनाया है।

इस कानून के मुताबिक, संबधित व्यक्ति को बिना किसी सुनवाई के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।

आज सुबह सर्वाेच्च न्यायालय में एमडीएमके नेता वायको द्वारा डा फारुक अब्दुल्ला की रिहाई के लिए दायर हैबेस कार्पस याचिका पर सुनवाई से पूर्व ही नेकांध्यक्ष को पीएसए के तहत बंदी बनाए जाने की पुष्टि हुई है।

संबधित सूत्रों ने बताया कि सर्वाेच्च न्यायालय में फारुक अब्दुल्ला को हिरासत में रखने को न्यायोचित्त ठहराने के लिए ही यह कदम उठाया गया है।

श्रीनगर के सांसद और जम्मू कश्मीर में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नेकांध्यक्ष डा फारुक अब्दुल्ला को पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को लागू करने से पूर्व चार अगस्त की मध्यरात्रि उनके घर में प्रशासन ने एहतियात के तौर पर नजरबंद किया था।

उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी उसी रात एहतियातन हिरासत में लिया गया था। वह हरि निवास में एहतियातन हिरासत में हैं।

अलगाववादियों को भी अक्सर इसी कानून के तहत बंदी बनाया जाता रहा है। इस कानून के मुताबिक, दो साल तक किसी तरह की सुनवाई नहीं हो सकती थी, लेकिन वर्ष 2010 में इसमें कुछ बदलाव किए गए।

पहली बार के उल्लंघनकर्त्ताओं के लिए पीएसए के तहत हिरासत अथवा कैद की अवधि छह माह रखी गई और अगर उक्त व्यक्ति के व्यवहार में किसी तरह का सुधार नहीं होता है तो यह दो साल तक बढ़ाई जा सकती है।

हालांकि डा फारुक अब्दुल्ला चार अगस्त की मध्यरात्रि से ही अपने घर में नजरबंद हैं, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि फारुक अब्दुल्ला को न नजरबंद रखा गया है और न उन्हें हिरासत में लिया गया है। वह कहीं भी आने जाने को स्वतंत्र हैं।

अलबत्ता, केंद्रीय गृहमंत्री के बयान के बाद ही डा फारुक अब्दुल्ला ने अपने घर की बाहरी दिवार पर खड़े हो पत्रकारों से बातचीत करते हुए गृहमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था।

यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि जम्मू कश्मीर में पीएसए को पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने वर्ष 1978 में लागू किया था।

उस समय इसे जंगलों के अवैध कटान में लिप्त तत्वों को रोकने के लिए आवश्यक बताया गया था।

बाद में समय बीतने के साथ ही इसका इस्तेमाल असामाजिक तत्वों, आतंकियों, कानून व्यवस्था के लिए संकट बनने वाले तत्वों और कई बार सत्ताधारी दल द्वारा अपने विरोधियों पर भी कथित तौर पर किया गया।

जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम को 8 अप्रैल, 1978 को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल से मंज़ूरी प्राप्त हुई थी। इस अधिनियम को शेख अब्दुल्ला की सरकार ने इमारती लकड़ी की तस्करी को रोकने और तस्करों को प्रचलन से बाहर रखने के लिये एक सख्त कानून के रूप में प्रस्तुत किया था।

यह कानून सरकार को 16 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को मुकदमा चलाए बिना दो साल की अवधि हेतु बंदी बनाने की अनुमति देता है।

Web Title: Farooq Abdullah, 83, Detained Under Tough Public Safety Act

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