‘जो किसान पिज्जा के लिए आटा मुहैया कराते हैं, उन्हें भी पिज्जा मिलना चाहिए’

By भाषा | Updated: December 13, 2020 17:54 IST2020-12-13T17:54:01+5:302020-12-13T17:54:01+5:30

'Farmers who provide flour for pizza should also get pizza' | ‘जो किसान पिज्जा के लिए आटा मुहैया कराते हैं, उन्हें भी पिज्जा मिलना चाहिए’

‘जो किसान पिज्जा के लिए आटा मुहैया कराते हैं, उन्हें भी पिज्जा मिलना चाहिए’

(गौरव सैनी)

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर पांच दोस्तों का एक समूह शनिवार की सुबह अमृतसर से रवाना हुआ। नियमित रूप से लंगर लगाने के लिए उनके पास ज्यादा समय नहीं था, इसलिए उन्होंने हरियाणा के एक मॉल से कई पिज्जा लिए और सिंघू बॉर्डर पर स्टॉल लगा लिया।

कुछ ही मिनट के अंदर वहां बड़ी संख्या में आंदोलनरत किसान और आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और इन दोस्तों ने उनके बीच करीब 400 पिज्जा बांटे।

इसके बाद से ‘पिज्जा लंगर’ सुर्खियों में बना हुआ है और विभिन्न समूह के लोगों ने इसकी प्रशंसा की है, जबकि कुछ समूहों ने इसकी आलोचना भी की है।

विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की खातिर अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर ‘पिज्जा लंगर’ का आयोजन करने वाले शनबीर सिंह संधू ने कहा, ‘‘जो किसान पिज्जा के लिए आटा मुहैया कराते हैं उन्हें भी पिज्जा मिलना चाहिए।’’

संधू ने कहा, ‘‘दाल-चपाती का नियमित लंगर लगाने के लिए हमारे पास समय नहीं था...इसलिए हमने ऐसा लंगर लगाने का विचार किया।’’ संधू खुद ही किसान हैं और गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में अर्थशास्त्र के छात्र भी हैं।

नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए किसान दिल्ली के कई प्रवेश मार्गों पर पिछले दो हफ्ते से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका दावा है कि नए कृषि कानूनों से कॉरपोरेट को फायदा मिलेगा और परंपरागत थोक बाजार और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।

संधू के मित्र शहनाज गिल ने कहा कि लोग रोजाना एक ही खाना खाकर बोर हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने सोचा कि हमें उन्हें कुछ ऐसी चीज देनी चाहिए कि उनका उत्साहवर्द्धन हो सके।’’

कृषि विज्ञान के 21 वर्षीय छात्र ने कहा कि पहली बार उन्होंने ‘पिज्जा लंगर’ आयोजित किया है और खुशी जताई कि लोगों ने उनके प्रयासों की सराहना की है।

बहरहाल, संधू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और पूरी तरह अस्वीकार्य है कि किसानों को पिज्जा देने के लिए कुछ लोग आलोचना कर रहे हैं।

संधू (25) ने कहा, ‘‘कुछ लोग इस बात को नहीं पचा सकते कि किसी किसान के पास कार हो सकती है, वह अच्छे कपड़े पहन सकता है और पिज्जा खा सकता है। किसान धोती-कुर्ता से जींस और टी-शर्ट पर आ गए हैं।’’

उन्होंने कहा कि ‘पिज्जा लंगर’ आयोजित करने का एक कारण किसानों के प्रति लोगों की अवधारणा बदलना है।

गिल ने कहा कि किसी को यह टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है कि किसान क्या खाएं या क्या पहनें।

उन्होंने कहा, ‘‘लोग हमें ‘तथाकथित किसान’ कह रहे हैं। इस तरह की कोई टिप्पणी करने से पहले उन्हें आना चाहिए और हमसे मिलना चाहिए। उन्हें पता चलेगा कि हमारी सोच दूसरों से बेहतर है।’’

पांचों दोस्तों ने इस तरह का एक और लंगर आयोजित करने का निर्णय किया है और उनका कहना है कि वह ज्यादा बेहतर और बड़ा होगा।

संधू ने कहा कि यह पिज्जा या बर्गर या कुछ और भी हो सकता है।

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Web Title: 'Farmers who provide flour for pizza should also get pizza'

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