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रोहतक में भाजपा नेता के आवास के पास किसानों ने प्रदर्शन समाप्त किया

By भाषा | Updated: July 18, 2021 19:55 IST

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चंडीगढ़, 18 जुलाई हरियाणा के रोहतक जिले में, महिला प्रदर्शनकारियों के साथ कथित बदसलूकी के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मनीष ग्रोवर के आवास के पास प्रदर्शन करने वाले किसानों ने पार्टी नेताओं के साथ वार्ता के बाद अपना आंदोलन खत्म कर दिया।

पिछले हफ्ते जब किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हिसार में गुरु जम्भेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तो उन्होंने आरोप लगाया कि एसयूवी में बैठे एक व्यक्ति ने महिला प्रदर्शनकारियों को अश्लील इशारे किए। इस एसयूवी में भाजपा के हांसी विधायक विनोद भयाना और ग्रोवर यात्रा कर रहे थे। हालांकि, ग्रोवर ने किसी भी तरह की बदसलूकी के आरोपों से इनकार किया।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को कहा कि भाजपा नेताओं और किसानों की बैठक के बाद ग्रोवर के घर के पास विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया है। एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘यह बैठक कुछ प्रतिष्ठित स्थानीय मध्यस्थों और प्रशासन की पहल पर आयोजित की गयी थी। इससे सुलह का मार्ग प्रशस्त हुआ। पूर्व मंत्री ने आक्रोशित महिला प्रदर्शनकारियों से बात की।’’

एसकेएम ने कहा कि कथित घटना को लेकर 19 जुलाई को रोहतक में आयोजित होने वाली महिला महापंचायत अब रद्द कर दी गई है। पत्रकारों से बात करते हुए ग्रोवर ने कहा कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए और रोहतक के लोगों ने भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन नहीं किया।

इस बीच, सिरसा में गतिरोध जारी है, जहां किसान पांच प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं। इन प्रदर्शनकारियों को 11 जुलाई को हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की कार पर हमले के बाद गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने 100 से अधिक लोगों पर राजद्रोह, लोक सेवकों को उनके कर्तव्य के निर्वहन में बाधा डालने, निर्वाचित प्रतिनिधि पर जानलेवा हमले के प्रयास और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया था।

भाजपा नेता के वाहन पर कथित रूप से हमला करने के आरोप में 100 से अधिक किसानों में से पांच किसानों को गिरफ्तार किया गया है। प्रदर्शनकारियों और जिला प्रशासन के बीच पहले दौर की वार्ता विफल होने के बाद सिरसा में गतिरोध जारी है। किसान संगठन ने पांच किसानों को तत्काल रिहा करने और सभी मामलों को वापस लेने की मांग की। एसकेएम ने कहा कि एक वरिष्ठ किसान नेता भी इस मुद्दे पर आमरण अनशन पर चले गए हैं। एसकेएम ने दावा किया कि प्रशासन अब तक कोई वीडियो या अन्य सबूत नहीं दिखा पाया है कि 11 जुलाई को किसानों ने हिंसा की थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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