मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में एकमुश्त भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हार के बाद बीजेपी के पतन के बारे में खुलकर बातें शुरू हो गई हैं। प्रतिष्ठित टीवी चैनलों की एंकर बीजेपी प्रवक्ताओं से सवाल पूछ रही हैं क्या देश से मोदी लहर खत्म हो गई है?
लेकिन यह एक सिलसिलेवार अवनति का नतीजा है, जिसने तीन भाजपा शासित राज्यों और बीजेपी के सबसे मजबूत राज्य कहे जाने वाले प्रदेशों को उससे छीन लिया। और इसकी शुरुआत हुई थी इसी साल फरवरी के महीने में हुई थी। तब बीजेपी की हार की झंकार पूरे देश में गूंजी थी।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शुरू हुआ था हार का सिलसिला
साल 2018 के फरवरी माह में उत्तर प्रदेश की दो सीटों गोरखपुर और फूलपुर में लोकसभा उपचुनाव थे। ये दोनों सीटें क्रमशः उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के सीट छोड़ने से खाली हुई थीं।
इन चुनावों से पहले गोरखपुर को योगी आदित्यनाथ का गढ़ कहा जाता था। इस सीट पर बीजेपी व समानधर्मी पार्टियों का 5 लोकसभा चुनावों से कब्जा था। लेकिन इन दोनों सीटों पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने घुसकर बीजेपी को मात दी।
यहां से बीजेपी आत्मविश्वास डिग गया था। इसके बाद नूरपूर समेत कई उपचुनावों में बीजेपी को करारी हार का सामना पड़ा।
कर्नाटक में बीजेपी ने खो दिया था विश्वास
अमित शाह को नई राजनीति का बादशाह माना जाता है। लेकिन कर्नाटक में 104 सीटें जीतने के बाद 76 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का राजनैतिक दांव बीजेपी पर भारी पड़ा। सीएम की शपथ लेने बाद बीएस येदियुरप्पा को भरे सदन में दो दिन के भीतर त्यागपत्र देना पड़ा। इस चुनाव परिणाम ने बीजेपी को अंदर तक हिलाया था।
लोकसभा में क्या होगा असर
तमाम ओपीनियन पोल में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर कांग्रेस महागठबंधन करने में सफल होती है तो मोदी लहर होने के बाद भी 2019 के चुनाव बीजेपी के लिए कठिन हो जाएंगे। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम इसी ओर इशारा करते हैं।