नई दिल्ली: इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने वाले लगभग सभी बॉर्डर पर किसानों का जत्था अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है। प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि अभी हाल में बने तीनों कृषि कानून को नरेंद्र मोदी सरकार जल्द से जल्द वापस ले।
देश के कई राज्यों के किसान नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कृषि को लेकर हाल में बनाए गए कानूनों से काफी नाराज हैं। किसानों का कहना है कि अपनी मेहनत से फसल की उपज पर लाभ कमाने की खुली छूट नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पूंजीपति या फिर प्राइवेट कंपनी को दिया जा रहा है। किसान किसी भी तरह से एमएसपी व नए कृषि कानून को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं हैं। इस बीच किसानों के आंदोलन से जोड़कर कई तरह के फोटो व वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है।
इसी तरह से सोशल मीडिया पर किसानों के आंदोलन से जोड़कर एक ऐसे तस्वीर को साझा किया जा रहा है, जिसमें भगवान राम के खिलाफ नारे लिखे हैं। दावा किया जा रहा है कि किसान अपने आंदोलन में भगवान राम के खिलाफ भी बैनर छपवाकर लगा रहे हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर इस आंदोलन से जोड़कर फैलाए जा रहे इस तस्वीर व दावे पर हमने फैक्ट चेक कर इसकी हकीकत को जानने की कोशिश की है।
आइए सच्चाई जानने से पहले पूरा मामला जानते हैं-
बता दें कि कई ट्विटर और फेसबुक उपयोगकर्ताओं ने एक काले बैनर की एक तस्वीर पोस्ट की है जिस पर हिंदी में लिखा है, "ना मोदी, ना योगी, ना जय श्री राम, देश पर राज करेगा मजदूर-किसान !!" सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ नारेबाजी ठीक है, लेकिन अगर यह किसानों का आंदोलन है, तो भगवान राम और हिंदुओं के नारे क्यों लगाए गए?
कोई इन नकली किसान बने वामपंथी और कोंग्रेसियो को बताओ कि असली किसान तो अपने दिन की शुरुआत ही कंधे पर हल रखकर और प्रभु...
Posted by Umesh Ji पूर्व प्रचारक आरएसएस on Tuesday, 1 December 2020
आइए अब जानते हैं इस फोटो की सच्चाई क्या है?
इस तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने इंटरनेट की मदद से सर्च करना स्टार्ट किया तो पाया कि तस्वीर दो साल पुरानी है। 30 नवंबर, 2018 को, विभिन्न वाम-संबद्ध किसानों की यूनियनों ने नई दिल्ली में एक रैली का आयोजन किया था, उसी दौरान इस बैनर को जंतर-मंतर पर देखा गया था।
इसके अलावा, रिवर्स इमेज सर्च का उपयोग करते हुए, हमने पाया कि तस्वीर को 2019 और 2018 में कई यूजर्स द्वारा ट्वीट किया गया था। हमने Google पर जब इस फोटो के संबंध में सर्च करना शुरू किया तो परिणाम में केवल 2018 की कई तस्वीर हमें देखने को मिला। साथ ही 30 नवंबर, 2018 को "ब्लूमबर्गक्विंट" द्वारा एक ट्वीट में इसी तस्वीर को साझा किया गया था और तस्वीर का श्रेय समाचार एजेंसी एएनआई को दिया गया था।
निष्कर्ष
इस तरह साफ हो गया कि इस तस्वीर का अभी हाल के किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि एक खास विचारधारा या पार्टी को समर्थन करने वाले लोग किसानों के आंदोलन को बदनाम करके कमजोर करने के लिए सोशल मीडिया पर इस तरह के फेक फोटो को साझा कर रहे हैं। फैक्ट चेक में तस्वीर को साझा कर किया जा रहा दावा बिल्कुल गलत है।