कृषि कानूनों के विरोध के दौरान किसानों की मौत पर संसद में दुख व्यक्त करें प्रधानमंत्री: टिकैत

By भाषा | Updated: October 9, 2021 20:09 IST2021-10-09T20:09:52+5:302021-10-09T20:09:52+5:30

Express grief in Parliament over the death of farmers during protest against agricultural laws: Tikait | कृषि कानूनों के विरोध के दौरान किसानों की मौत पर संसद में दुख व्यक्त करें प्रधानमंत्री: टिकैत

कृषि कानूनों के विरोध के दौरान किसानों की मौत पर संसद में दुख व्यक्त करें प्रधानमंत्री: टिकैत

नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिल्ली की सीमाओं पर महीनों से जारी कृषि कानूनों के विरोध में लगभग 750 किसानों की मौत पर संसद में दुख व्यक्त करना चाहिए।

टिकैत ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार का यह आश्वासन ‘‘केवल कागजों पर’’ जारी रहेगा और किसान इसे हकीकत में चाहते हैं। ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव-2021 में ‘‘क्रोध के बीज: भय और तथ्य: कृषि संकट का समाधान कैसे करें’’ नामक परिचर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने टिकैत पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध राजनीति से प्रेरित है।

कॉन्क्लेव में टिकैत ने कहा, ‘‘किसान अपनी फसलों के उचित खरीद मूल्य प्राप्त करने के लिए विरोध कर रहे हैं। सरकार का दावा है कि एमएसपी मिल रहा है और मिलता रहेगा लेकिन किसान वास्तव में यह चाहते हैं न कि केवल कागजों पर।’’

भाकियू नेता ने कहा, ‘‘किसानों का प्रदर्शन 11वें महीने में प्रवेश कर गया है। सरकार और प्रधानमंत्री को एक बार संसद में उन 750 किसानों के बारे में बोलना चाहिए जिन्होंने विरोध के दौरान अपनी जान गंवाई।’’

नवंबर 2020 से दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में सैकड़ों भाकियू सदस्यों और प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों मौतों पर दुख व्यक्त करना चाहिए। हालांकि, अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा किसानों के बारे में बोलते हैं और संसद में भी उनके बारे में बोलते रहे हैं।

मेरठ से लोकसभा सदस्य अग्रवाल ने कहा, ‘‘विरोध अपने 11वें महीने में प्रवेश कर गया है लेकिन इसे लेकर हर समय भ्रम की स्थिति बनी रहती है। कानूनों के बारे में गलतफहमी हो सकती है, लेकिन उन पर विभिन्न मंचों पर बहस हुई है। उच्चतम न्यायालय तक भी मामला पहुंचा है।’’

अग्रवाल ने कहा, ‘‘मैं कानूनों के बारे में सिर्फ एक बात जानना चाहता हूं कि जिस पर उन्हें आपत्ति है। इसलिए मुझे यह (विरोध) किसानों के हितों से प्रेरित नहीं बल्कि राजनीतिक एजेंडे या राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित लगता है। विरोध को कुछ राजनीतिक दलों से जोड़ा जा सकता है।’’

नए कृषि कानूनों में से एक कानून से किसानों को किसी भी ‘मंडी’ में अपनी फसल बेचने की सुविधा होगी, इस बारे में टिकैत ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में 182 ‘मंडियों’ को उनकी वित्तीय स्थितियों के कारण बंद कर दिया गया है। टिकैत ने दावा किया, ‘‘किसान बर्बाद हो रहे हैं। एमएसपी केवल कागजों पर है। कोई भी गांवों का दौरा नहीं करता है। वे दिल्ली में बैठते हैं और कानून पारित करते हैं।’’

टिकैत ने कहा कि बिहार में 16 साल पहले मंडियां बंद हो गई और इस सरकार के तर्क के मुताबिक तो उस राज्य के किसान अब तक अमीर हो गए होंगे। यह पूछे जाने पर कि पिछली सरकारों के दौरान एमएसपी कानूनी गारंटी नहीं रही, टिकैत ने जवाब दिया कि यही कारण है कि वे पार्टियां अब सत्ता में नहीं हैं।

भाकियू नेता ने दावा किया, ‘‘2011 में, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के अध्यक्ष के रूप में एक वित्तीय समिति का गठन किया गया था। इसने केंद्र से सिफारिश की थी कि एमएसपी की गारंटी के लिए एक कानून बनाया जाए।’’ टिकैत ने आरोप लगाया, ‘‘मोदी ने जिस चीज की सिफारिश की थी आज उस पर देश को धोखा दे रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Express grief in Parliament over the death of farmers during protest against agricultural laws: Tikait

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे