हर कोई जानता है, राजद्रोह कानून का कैसे इस्तेमाल हो रहा है : मेजर जनरल वोम्बटकेरे
By भाषा | Updated: July 16, 2021 18:12 IST2021-07-16T18:12:24+5:302021-07-16T18:12:24+5:30

हर कोई जानता है, राजद्रोह कानून का कैसे इस्तेमाल हो रहा है : मेजर जनरल वोम्बटकेरे
मैसुरू, 16 जुलाई उच्चतम न्यायालय में भादंसं की धारा 124 ए (राजद्रोह) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले सेवानिवृत्त मेजर जनरल एस. जी. वोम्बटकेरे ने शुक्रवार को कहा कि हर कोई जानता है कि औपनिवेशिक कानून का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है।
सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि क्या हो रहा है। मैं कैसा महसूस कर रहा हूं यह महत्वपूर्ण नहीं है। लोग कैसा महसूस कर रहे हैं यह महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा कि पत्रकारों को बेहतर जानकारी होती है कि राजद्रोह कानून के बारे में लोग क्या महसूस कर रहे हैं। बहरहाल उन्होंने कहा कि देश में अन्य लोगों की तरह वह भी खुश हैं लेकिन मामले के बारे में ज्यादा बात करने से इंकार करते हुए कहा कि मामला अदालत के विचाराधीन है।
राजद्रोह के संबंध में औपनिवेशिक काल के कानून के ‘‘घोर दुरुपयोग’’ पर चिंता जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए महात्मा गांधी जैसे लोगों को ‘‘चुप’’ कराने में ब्रिटेन द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कानून को वह खत्म क्यों नहीं करता।
उच्चतम न्यायालय बृहस्पतिवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया तथा वोम्बटकेरे की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया था जिन्होंने कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी थी और कहा कि उनकी मुख्य चिंता ‘‘कानून के दुरुपयोग’’ को लेकर है।
वोम्बटकेरे मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ उन्होंने नर्मदा आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।
भारतीय सेना के जनसूचना के अतिरिक्त महानिदेशक के आधिकारिक फेसबुक पेज के मुताबिक खार्दुंगला दर्रे में 1982 में दुनिया के सबसे ऊंचे पुल का डिजाइन तैयार करने और उसका निर्माण करने के लिए उनका नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।