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अनुच्छेद 370 हटाने के 4 साल बाद भी कश्मीर में नहीं रुक रहा है मौतों का सिलसिला, हर रोज औसतन हो रही है एक मौत-आंकड़े

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: March 22, 2023 14:56 IST

कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों के सबसे अधिक हमले प्रवासी नगरिकों के साथ साथ हिन्दुओं पर भी हुए हैं जो लगातार जारी हैं। पिछले साल पांच अगस्त की पूर्व संध्या पर भी आतंकियों ने पुलवामा मे ग्रेनेड हमला कर एक बिहारी श्रमिक की जान ले ली थी।

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ठळक मुद्देकश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के 4 साल बाद भी हालात सामान्य नहीं है। ऐसे में कश्मीर में मौतों का सिलसिला रुक नहीं रहा है और यहां हर रोज जानें जा रही है। आंकड़ों की अगर माने तो हर रोज औसतन यहां एक मौत होती है।

जम्मू: पांच अगस्त 2019 को कश्मीर में जिस अनुच्छेद 370 को हिंसा का प्रमुख कारण बताते हुए हटा दिया गया था उसके चार साल बीत जाने के बाद भी कश्मीर को हिंसा से मुक्ति नहीं मिल पाई है। हिंसा में कमी तो है पर आज भी कश्मीर प्रतिदिन एक मौत को देखने को मजबूर है। इसकी पुष्टि खुद सरकारी आंकड़े करते हैं। इस संबंध में जारी किए गए आंकड़े बताते है कि 5 अगस्त 2019 से लेकर 22 मार्च 2023 तक के चार साल के अरसे में कश्मीर ने कुल 1147 मौतें देखी गई हैं।

788 आतंकी हुए है ढेर, 149 नागरिकों को आंतकियों ने मारा-आंकड़ा

हालांकि इसमें सबसे बड़ा आंकड़ा आतंकियों का ही था जिनके विरूद्ध कई तरह के आप्रेशन चला और उन्हें मैदान से भाग निकलने को मजबूर किया गया लेकिन नागरिकों व सुरक्षाबलों की मौतें भी यथावत हैं। ऐसे में आंकड़े कहते है कि 788 आतंकी इस अवधि में ढेर कर दिए गए है। तो इसी अवधि में 210 सुरक्षाकर्मियों को शहादत देकर इस सफलता को प्राप्त करना पड़ा है।

आपको बता दें कि आतंकियों द्वारा नागरिकों को मारने का सिलसिला भी यथावत जारी है। हालांकि पुलिस के दावानुसार, नागरिक कानून व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया के दौरान इस अवधि में कोई भी नागरिक मारा नहीं गया है बल्कि इन चार सालों में जो 149 नागरिक मारे गए उन्हें आतंकियों ने ही मारा है। 

अनुच्छेद 370 हटाए के बाद हिंदू बने है निशाना

इतना जरूर था कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों के सबसे अधिक हमले प्रवासी नगरिकों के साथ साथ हिन्दुओं पर भी हुए हैं जो लगातार जारी हैं। पिछले साल पांच अगस्त की बरसी की पूर्व संध्या पर भी आतंकियों ने पुलवामा मे ग्रेनेड हमला कर एक बिहारी श्रमिक की जान ले ली थी।

कश्मीर हर रोज औसतन देख रहा है एक मौत- आंकड़े

अगर इन आंकड़ों पर जाएं तो कश्मीर ने प्रतिदिन औसतन एक मौत देखी है और आतंकियों व अन्य मौतों के बीच 2:1 का अनुपात रहा है। अर्थात अगर दो आतंकी मारे गए तो एक सुरक्षाकर्मी व नागरिक भी मारा गया है। बता दें कि पहले यह अनुपात 3: 2 का था। इतना जरूर था कि 5 अगस्त की कवायद के उपरांत कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा भी बदल गया है। अब कश्मीर हाइब्रिड आतंकियों की फौज से जूझने को मजबूर है जो सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं। 

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