लोकमत एक्सक्लूसिव: टेलीकॉम कंपनियों को AGR संकट से बचाने के लिए आज बुलाई गई आपात बैठक
By संतोष ठाकुर | Published: February 23, 2020 08:43 AM2020-02-23T08:43:15+5:302020-02-23T08:43:15+5:30
टेलीकॉम इंडस्ट्री की मांग है कि एजीआर को दो भागों में विभाजित करना चाहिए. इसमें मुख्य दंड राशि और ब्याज राशि अलग हो. अधिकारी ने बताया कि रविवार की बैठक में मुख्य दंड राशि और ब्याज राशि को अलग करते हुए वसूली के बिंदु पर चर्चा हो सकती है.
सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) संकट से बचाने के लिए पैनिक बटन दबाया है. उसने छुट्टी के दिन रविवार को दूरसंचार मंत्रालय में आपात बैठक बुलाई है. इसमें नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को खास तौर पर बुलाया गया है ताकि इन कंपनियों को राहत देने के लिए कोई सर्वमान्य हल निकाला जा सके.
एक अधिकारी ने कहा, ''यह अनौपचारिक बैठक है और हम नहीं चाहते हैं कि इसको लेकर अनावश्यक हंगामा हो. यही वजह है कि इसमें डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन के सदस्यों के आने के बावजूद बैठक के रूप में परिवर्तन नहीं किया है. अनौपचारिक बैठक में अधिकारी खुलकर बात रख सकेंगे.''
वोडाफोन-आइडिया जहां एजीआर की वजह से अपने को बंद होने के कगार पर पहुंचा बता रही है, वहीं एयरटेल ने कहा है कि वह एजीआर राशि देने के लिए तैयार है, लेकिन सरकार को टैक्स के बेहतरीकरण और सरलीकरण के लिए काम करना चाहिए. टेलीकॉम कंपनियों को करीब 1 लाख करोड़ रुपए तक का एजीआर चुकाना है.
टेलीकॉम इंडस्ट्री की मांग है कि एजीआर को दो भागों में विभाजित करना चाहिए. इसमें मुख्य दंड राशि और ब्याज राशि अलग हो. अधिकारी ने बताया कि रविवार की बैठक में मुख्य दंड राशि और ब्याज राशि को अलग करते हुए वसूली के बिंदु पर चर्चा हो सकती है. टेलीकॉम इंडस्ट्री मुख्य रूप से यही मांग कर रहा है.