कोलकाता के मुसलमानों ने ममता को लिखी चिट्ठी, कहा- कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाए
By भाषा | Updated: June 20, 2019 18:57 IST2019-06-20T18:57:23+5:302019-06-20T18:57:23+5:30
उन्होंने पत्र में लिखा, “हम हाल में हुई दो घटनाओं को लेकर बेहद चिंतित हैं...दोनों मामलों में हमलावर हमारे समुदाय से थे...हम व्यथित और शर्मिंदा हैं।” कोलकाता के रहने वाले, 46 जानेमाने मुसलमानों ने कहा, “सिर्फ इन दो मामलों में ही नहीं, बल्कि जितने भी मामलों में मुसलमान शामिल हों, उन पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाए। उन्हें सिर्फ इसलिये नहीं बख्श दिया जाना चाहिए क्योंकि वे मुसलमान हैं।

मुसलमानों ने कहा, “सिर्फ इन दो मामलों में ही नहीं, बल्कि जितने भी मामलों में मुसलमान शामिल हों, उन पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाए।
कोलकाता में डॉक्टरों पर हाल में हुए हमलों और मॉडल उशोषी सेनगुप्ता के साथ अपने समुदाय के कुछ सदस्यों द्वारा छेड़छाड़ किये जाने को देखते हुए मुसलमानों के एक संगठन ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि इस “धारणा” को गलत साबित किया जा सके कि उन्हें “बचाया जा रहा है या उनका तुष्टिकरण” किया जा रहा है।
उन्होंने पत्र में लिखा, “हम हाल में हुई दो घटनाओं को लेकर बेहद चिंतित हैं...दोनों मामलों में हमलावर हमारे समुदाय से थे...हम व्यथित और शर्मिंदा हैं।” कोलकाता के रहने वाले, 46 जानेमाने मुसलमानों ने कहा, “सिर्फ इन दो मामलों में ही नहीं, बल्कि जितने भी मामलों में मुसलमान शामिल हों, उन पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाए। उन्हें सिर्फ इसलिये नहीं बख्श दिया जाना चाहिए क्योंकि वे मुसलमान हैं।
इससे यह संदेश जाएगा कि किसी समुदाय के सदस्यों को न तो बचाया जा रहा है और ना ही उनका तुष्टिकरण किया जा रहा है।” उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वह कोलकाता में मुसलमान युवाओं और उनके परिवारों को लैंगिक मुद्दों पर संवेदनशील बनाने, कानून के अनुपालन करने और नागरिक दायित्वों का बोध कराने के लिये कार्यशाला और कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें इनसे जोड़े।
बनर्जी को लिखे पत्र का मसौदा तैयार करने वाले संचार विशेषज्ञ मुदार पथेरया ने कहा कि सरकार को वोटबैंक की राजनीति छोड़ कर, आने वाली पीढ़ियों के बेहतर भविष्य को ध्यान में रखते हुए मुद्दों का समाधान करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जिस पल वे ऐसा करना शुरू करेंगी, मेरा मानना है कि चीजों में सकारात्मक बदलाव आने लगेगा।” पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली पोषणविद् (न्यूट्रिशनिस्ट) नेहा हफीज ने कहा कि यह धारणा बदले जाने की जरूरत है कि समुदाय को “दूसरों की अपेक्षा ज्यादा विशेष लाभ मिल रहा है। यह एक समस्या है जिससे हम इनकार नहीं कर सकते। हमें इसके समाधान की जरूरत है।”