एल्गार परिषद मामला: गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़ा है मामला
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: May 14, 2024 12:57 IST2024-05-14T12:56:01+5:302024-05-14T12:57:46+5:30
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। अदालत ने कहा कि नवलखा चार साल से अधिक समय से जेल में हैं और मामले में अभी तक आरोप तय नहीं किये गये हैं।

गौतम नवलखा (फाइल फोटो)
Elgar Parishad case: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार, 14 मई को सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को एल्गार परिषद मामले में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर लगी रोक हटाकर जमानत पर बाहर आने की अनुमति दे दी। बंबई उच्च न्यायालय ने इससे पहले उन्हें जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवलखा को घर में नजरबंद कर दिया गया था। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने नवलखा को घर में नजरबंदी के दौरान सुरक्षा पर हुए खर्च के लिए 20 लाख रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।
SC grants bail to activist Gautam Navlakha in Elgar Parishad-Maoist links case
— Press Trust of India (@PTI_News) May 14, 2024
पीठ ने कहा, "हम रोक को आगे नहीं बढ़ाने के पक्ष में हैं क्योंकि उच्च न्यायालय का आदेश जमानत देने का है। मुकदमा पूरा होने में कई साल और कई साल लगेंगे। विवादों पर विस्तार से चर्चा किए बिना, हम रोक की अवधि नहीं बढ़ाएंगे। कुल मिलाकर विपक्षी पार्टी को 20 लाख रुपये का भुगतान यथाशीघ्र किया जाए।''
अदालत ने कहा कि नवलखा चार साल से अधिक समय से जेल में हैं और मामले में अभी तक आरोप तय नहीं किये गये हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर, 2022 को नवलखा को जमानत दे दी थी, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए समय मांगने के बाद अपने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी।
नवंबर 2022 में उच्चतम न्यायालय ने नवलखा को घर में नजरबंद करने की अनुमति दी। वह वर्तमान में नवी मुंबई में रह रहे हैं। यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। इसके बारे में पुलिस का दावा है कि इसी के बाद अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी। मामले में सोलह कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से पांच फिलहाल जमानत पर हैं।
नवलखा को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि उन्होंने किसी तरह की आतंकी गतिविधि की साजिश रची थी या उसमें शामिल थे। हालांकि कोर्ट ने माना था कि एनआईए की ओर से पेश किए गए सबूतों के आधार पर प्रथम दृष्टया पता चलता है कि यह मानने के उचित आधार हैं कि नवलखा के खिलाफ लगाए गए आरोप सही हैं। अदालत ने माना था कि नवलखा सीपीआई (माओवादी) का सदस्य था और इस पर यूएपीए की धारा 13 और 38 के प्रावधानों के तहत ही केस दर्ज होगा।