Electoral Bonds Scheme: आखिर क्या है चुनावी बॉन्ड योजना, सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रद्द किया, कब हुआ था लागू, कांग्रेस ने क्यों किया स्वागत...
By सतीश कुमार सिंह | Published: February 15, 2024 01:03 PM2024-02-15T13:03:05+5:302024-02-15T13:04:33+5:30
Electoral Bonds Scheme: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया और कहा कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
Electoral Bonds Scheme: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बड़ा फैसला किया है। भाजपा और कांग्रेस में जुबानी जंग तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक माना है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एसबीआई राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करेगा और ECI इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा। दूरगामी परिणाम वाले इस ऐतिहासिक फैसले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को छह वर्ष पुरानी योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने के निर्देश दिए गए।
#WATCH | Advocate Prashant Bhushan says "The Supreme Court has struck down the Electoral Bond scheme and all the provisions that were made to bring it into effect have been struck down. They have held that this violates the fundamental right to information of citizens to know… https://t.co/p0jF21bOAHpic.twitter.com/wizF38Lvfj
— ANI (@ANI) February 15, 2024
इसमें कहा गया कि जानकारी में यह भी शामिल होना चाहिए कि किस तारीख को यह बॉन्ड भुनाया गया और इसकी राशि कितनी थी। साथ ही पूरा विवरण छह मार्च तक निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश किया जानका चाहिए। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी चाहिए।
#WATCH | On the Supreme Court's verdict on the Electoral Bond scheme, Advocate Shadan Farasat says "Supreme Court has unanimously struck down the electoral bond amendments. The amendments which were the basis of the scheme have been struck down from different enactments like the… pic.twitter.com/DHd1SYEyfP
— ANI (@ANI) February 15, 2024
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए। इस फैसले को केन्द्र सरकर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
#WATCH | On the Supreme Court's verdict on the Electoral Bond scheme, Rajya Sabha MP Kapil Sibal says, "This is a huge ray of hope not just for a, b or c political party but for democracy itself. It's a huge ray of hope for the citizens of this country. This whole scheme which… pic.twitter.com/Qn2TE8a0aH
— ANI (@ANI) February 15, 2024
पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है। फैसले में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और आयकर कानूनों सहित विभिन्न कानूनों में किए गए संशोधनों को भी अवैध ठहराया गया। फैसले में कहा गया कि संबद्व बैंक चुनावी बॉन्ड जारी नहीं करेगा और एसबीआई 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड के ब्योरे निर्वाचन आयोग को देगा। शीर्ष अदालत ने पिछले वर्ष दो नवंबर में इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
#WATCH | On the Supreme Court's verdict on the Electoral Bond scheme, Rajya Sabha MP Kapil Sibal says, "So we'll get to know the bonding between those who funded and the politics of the country and also you will get to know the Quid pro quo because nobody gives these huge amounts… pic.twitter.com/5Y335GhzRk
— ANI (@ANI) February 15, 2024
चुनावी बॉन्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था। 2017 में लागू किया गया था। इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था।
Supreme Court orders that SBI shall furnish the details of Electoral Bonds encashed by the political parties. Supreme Court says SBI shall submit the details to the Election Commission of India and ECI shall publish these details on the website.
— ANI (@ANI) February 15, 2024
योजना के प्रावधानों के अनुसार चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। आलोचकों का कहना था कि इससे चुनावी वित्तपोषण में पारदर्शिता समाप्त होती है और सत्तारूढ़ दल को फायदा होता है।
#UPDATE | Supreme Court orders that banks to forthwith stop issuing Electoral Bonds.
— ANI (@ANI) February 15, 2024
चुनावी बॉन्ड पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत, वोट की ताकत और मजबूत होगी : कांग्रेस
कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह निर्णय नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह उम्मीद भी जताई कि उच्चतम न्यायालय इस बात पर भी ध्यान देगा कि चुनाव आयोग 'वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल' (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर विपक्षी दलों से मिलने से लगातार इनकार कर रहा है।
उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बांड योजना को सूचना का अधिकार कानून और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है। रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, "उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान का भी उल्लंघन माना है।
Supreme Court holds Electoral Bonds scheme is violative of Article 19(1)(a) and unconstitutional. Supreme Court strikes down Electoral Bonds scheme. Supreme Court says Electoral Bonds scheme has to be struck down as unconstitutional. https://t.co/T0X0RhXR1Npic.twitter.com/aMLKMM6p4M
— ANI (@ANI) February 15, 2024
लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है और यह नोट पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा। " उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार 'चंदादाताओं' को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर किसी भी तरह का अत्याचार कर रही है। रमेश ने कहा, "हमें यह भी उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से लगातार इनकार कर रहा है। यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?"
#WATCH | On SC's verdict on a batch of pleas challenging the legality of the electoral bonds scheme, Petitioner Jaya Thakur says, "Proceeding is underway & the court has not given a judgement yet. But the court said that it should be transparent. RTI is every citizen's right.… pic.twitter.com/rVuey3RHnT
— ANI (@ANI) February 15, 2024
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है। " उन्होंने दावा किया, "चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया। इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी भाजपा को सीधे लाभ पहुंचाया।"
गहलोत के मुताबिक, "मैंने बार-बार कहा कि चुनावी बॉन्ड आजाद भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। आज उच्चतम न्यायालय के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि चुनावी बॉन्ड राजग सरकार का एक बड़ा घोटाला है।" उन्होंने कहा, "यह फैसला देर से आया, पर यह देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए बेहद जरूरी फैसला है। उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद।"