Electoral Bond Scheme: चुनाव के ठीक पहले चुनावी बॉण्ड योजना को खत्म करने से काले धन की भूमिका बढ़ेगी, पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा- लोकतंत्र कमजोर पड़ रहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 5, 2024 12:11 PM2024-04-05T12:11:25+5:302024-04-05T12:25:53+5:30

Electoral Bond Scheme: चुनावी बॉण्ड योजना पर टिप्पणी करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हालांकि इसके बारे में काफी चर्चा की गई है और अदालत के फैसले की सराहना की गई है।

Electoral Bond Scheme former law minister Ashwini Kumar said Abolishing bond before elections increase role black money democracy is weakening | Electoral Bond Scheme: चुनाव के ठीक पहले चुनावी बॉण्ड योजना को खत्म करने से काले धन की भूमिका बढ़ेगी, पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा- लोकतंत्र कमजोर पड़ रहा

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Highlightsफैसले के प्रभावों पर विचार नहीं किया गया है।संवैधानिक उद्देश्य चुनाव के वित्तपोषण में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

Electoral Bond Scheme: पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा है कि आम चुनाव से ठीक पहले चुनावी बॉण्ड योजना को खत्म करने से काले धन की भूमिका बढ़ेगी। कुमार ने अपनी पुस्तक 'ए डेमोक्रेसी इन रिट्रीट: रीविजिटिंग द एंड्स ऑफ पावर' पर एक चर्चा के दौरान कहा कि भारत में लोकतंत्र कमजोर पड़ रहा है और इसे इसकी संस्थाओं द्वारा नहीं, बल्कि लोगों द्वारा ही बचाया जाएगा। हाल ही में रद्द की गई चुनावी बॉण्ड योजना पर उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि इसके बारे में बात की गई है, ज्यादातर इसकी सराहना की गई है, लेकिन फैसले के प्रभावों पर विचार नहीं किया गया है।

कुमार ने कहा, ‘‘इसकी बहुत चर्चा हुई है, ज्यादातर सराहना हुई है, लेकिन क्या किसी ने वास्तव में सोचा है कि फैसले का प्रभाव क्या होगा? आप किसी फैसले को कुछ संवैधानिक सिद्धांतों में बांध सकते हैं और इस पर एक सिद्धांत बना सकते हैं, लेकिन न्यायिक निर्णय का उद्देश्य एक लक्ष्य प्राप्त करना होता है।’’ उन्होंने कहा कि योजना का संवैधानिक उद्देश्य चुनाव के वित्तपोषण में पारदर्शिता सुनिश्चित करना था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "इस निर्णय के परिणामस्वरूप, हम राजनीति के नकदी पहलू पर वापस चले गए हैं। अब कोई पारदर्शिता नहीं है।" उन्होंने कहा, "...आम चुनाव से ठीक पहले उच्चतम न्यायालय के फैसले का नतीजा यह है कि काले धन की भूमिका केवल बढ़ी है और केंद्र या राज्य में चाहे जो भी सत्ता में हो, वह लाभ में रहेगा। किसी ने इसके बारे में नहीं सोचा।’’

यह पूछे जाने पर कि इसका रास्ता क्या हो सकता है, उन्होंने कहा, "मैं यह दिखावा नहीं करता कि मेरे पास इसका सटीक उत्तर है।" कुमार ने कहा कि समय-समय पर अलग-अलग आयोगों द्वारा अलग-अलग सिफारिशें की गई हैं। उन्होंने कहा, "मुश्किल यह है कि किसी न किसी कारण से कोई राजनीतिक सहमति नहीं है, आगे के रास्ते पर राजनीतिक सहमति का अभाव है।"

कांग्रेस के पूर्व नेता कुमार ने कहा कि लोकसभा चुनाव लड़ने में 15-20 करोड़ रुपये का खर्च आता है और यह खर्च तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अधिक है। इस बीच पूर्व राजदूत पवन वर्मा ने अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स द्वारा इस्तेमाल की गई पद्धति का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘एक उत्तर है और इसे आजमाया गया है और इसे बर्नी सैंडर्स मॉडल कहा जाता है। उन्होंने कॉर्पोरेट घरानों या व्यवसाय से धनराशि नहीं ली... उन्होंने डिजिटल वित्तपोषण के माध्यम से धनराशि जुटायी, जहां दानकर्ता, राशि और पार्टी एक सार्वजनिक वेबसाइट पर है।"

उन्होंने कहा, "इस प्रक्रिया में, बर्नी सैंडर्स ने 25 करोड़ डॉलर जुटाये...।" कुमार ने भारतीय लोकतंत्र के बारे में कहा कि यह कमजोर हो रहा है । उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को लोग बचाएंगे, संस्थाएं नहीं। उन्होंने कहा कि संविधान के सभी सिद्धांतों पर गंभीर हमला हो रहा है और, अंततः, इस हमले को तभी रोका जा सकता है जब लोग सही ढंग से दृढ रहेंगे।

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