तेजस्वी यादव के कदमों से विपक्षी एकता पर उठने लगे हैं सवाल, जानें क्या है कारण

By एस पी सिन्हा | Published: June 1, 2023 04:32 PM2023-06-01T16:32:45+5:302023-06-01T16:33:50+5:30

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की कवायद में भले ही जी-जान से लगे हुए हों, लेकिन विपक्षी एकता को लेकर 12 जून को पटना में होने वाली बैठक से पहले ही इसपर सवाल उठाए जाने लगे हैं।

Due to the steps of Tejashwi Yadav questions are being raised on the unity of the opposition | तेजस्वी यादव के कदमों से विपक्षी एकता पर उठने लगे हैं सवाल, जानें क्या है कारण

(फाइल फोटो)

Highlightsपश्चिम बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के बीच टकराव और बढ़ने की संभावना जताई जाने लगी है।नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की कवायद में पिछले 9 महीने से लगे हुए हैं।कन्हैया कुमार और तेजस्वी यादव के बीच आज भी दूरी बरकरार है।

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की कवायद में भले ही जी-जान से लगे हुए हों, लेकिन विपक्षी एकता को लेकर 12 जून को पटना में होने वाली बैठक से पहले ही इसपर सवाल उठाए जाने लगे हैं। दरअसल, यह सवाल इसलिए उठाए जा रहे हैं क्योंकि बुधवार को ही तेजस्वी यादव ने कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की उपस्थिति के कारण कार्यक्रम से दूरी बना ली थी, जबकि उपमुख्यमंत्री बतौर मुख्य अतिथि और उद्घाटनकर्ता के तौर पर आमंत्रित थे।

यही नहीं एक ओर जहां विपक्षी एकता की बात हो रही है तो वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस के एकमात्र विधायक को ही अपने पाले में तोड़ लिया। ऐसे में पश्चिम बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के बीच टकराव और बढ़ने की संभावना जताई जाने लगी है। नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की कवायद में पिछले 9 महीने से लगे हुए हैं। ऐसे में यह सवाल उठाया जाने लगा है कि वह कितना कामयाब होगा? 

कन्हैया कुमार और तेजस्वी यादव के बीच आज भी दूरी बरकरार है। तेजस्वी यादव कन्हैया कुमार के साथ मंच साझा करने से गुरेज कर रहे हैं। इस बात की पुष्टि बुधवार को पटना के बापू सभागार में बिहार कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम के दौरान हो गई। तेजस्वी यादव के इस कदम से सियासी गलियारे में कयासों का बाजार गर्म हो गया है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि तेजस्वी यादव कन्हैया कुमार के साथ मंच साझा करने के इच्छुक नहीं हैं। 

सियासत के जानकार बताते हैं कि लालू प्रसाद यादव के परिवार का मानना है कि अगर कन्हैया कुमार बिहार की राजनीति में खुद को स्थापित करते हैं तो तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल पेश आ सकती है। खासकर अल्पसंख्यकों में कन्हैया कुमार काफी लोकप्रिय माने जाते हैं और तेजस्वी की पार्टी राजद से अल्पसंख्यक वोट खिसक सकती है। 

हकीकत भी यही है कि अल्पसंख्यकों के आधार वोट पर भी राजद बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनने में सफल है। ऐसे में अगर कन्हैया कुमार के कंधे के सहारे कांग्रेस में थोड़ी भी जान आ गई तो राजद के लिए खतरा हो सकता है। ऐसे में यह सवाल उठाया जा रहा है कि अगर दोनों के बीच इसी तरह दूरी बनी रही तो फिर विपक्षी एकता कहां तक सफल हो पायेगा? वहीं, जदयू के नेता नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार बता रहे हैं। 

लेकिन कांग्रेस क्या इसे मान लेगी? इसका एक कारण यह भी है कि एक ताजा सर्वे में यह बात सामने आई है कि मात्र एक प्रतिशत लोग ही नीतीश कुमार को बतौर पीएम पसंद किया है। जबकि राहुल गांधी को 18 और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को 6 प्रतिशत लोगों ने पीएम के रूप में पसंद किया है। ऐसी स्थिति में विपक्षी एकता कब तक टिक पायेगी, इसपर संदेह व्यक्त किया जाने लगा है।

Web Title: Due to the steps of Tejashwi Yadav questions are being raised on the unity of the opposition

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