जींद (हरियाणा), आठ मार्च केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवायी कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बिहार में नीतीश कुमार सरकार द्वारा मंडियां समाप्त कर पैक्स लाए जाने की सोमवार को मुखर आलोचना करते हुए कहा कि राज्य में मंडियां बंद होने के कारण ही वहां के किसान मजदूरी करने को मजबूर हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं द्वारा किसान आंदोलन के समर्थन में आयोजित विशेष कार्यक्रम में पहुंचे कोहाड़ ने पिछले साल सितंबर में बने तीनों कानूनों को काला कानून बताते हुए कहा, ‘‘बिहार में मंडियां बंद होने के कारण ही वहां के किसान आज मजदूरी करने को मजबूर हैं। अगर तीनों काले कानून वापस नहीं लिए गए तो हरियाणा के किसानों की स्थिति भी बिहार के मजदूरों जैसी हो जाएगी।’’
किसानों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि यह आंदोलन ‘‘जमीन के साथ-साथ जमीर बचाने का आंदोलन है।’’
जींद के बदोवाल टोल प्लाजा पर सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने कहा, ‘‘हम हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर 10 मार्च को होने वाले मतदान पर नजर रखे हुए हैं। उस दिन सभी के सामने स्पष्ट होगा कि कौन किसानों के साथ है और कौन उनके खिलाफ।’’
उन्होंने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर ‘‘किसान नौ मार्च को जजपा और निर्दलीय विधायकों को ज्ञापन सौंप कर उनसे किसानों के हित में और अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने का अनुरोध करेंगे।’’
किसान आंदोलन में महिलाओं की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कोहाड़ ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा और आरएसएस मानवता, भाईचारे और शांति की भाषा नहीं समझते। भाजपा सिर्फ कुर्सी, चुनाव और हार-जीत की भाषा समझती है। इसे देखते हुए संयुक्त मोर्चा के नेता अब पश्चिम बंगाल का रुख करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में किसान नेता किसी पार्टी के पक्ष में प्रचार नहीं करेंगे, बल्कि वे किसानों की शहादत का मजाक उड़ाने वाली भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल कर, उसे वोट नहीं देने की अपील करेंगे।
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