कोरोना वायरस महामारी से निपटने लिए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने घरेलू हिंसा और दुरुपयोग के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने गुरुवार (2 अप्रैल) को कहा है कि NCW को ईमेल के माध्यम से शिकायतें मिल रही हैं। मार्च के पहले सप्ताह (2-8) के बीच आयोगो को महिलाओं के खिलाफ अपराधों की 116 शिकायतें मिली थीं। लॉकडाउन की अवधि के दौरान 23 मार्च से 31 मार्च के बीच 257 नई शिकायतें मिली है।
रेखा शर्मा ने कहा, 24 मार्च से 1 अप्रैल के बीच घरेलू हिंसा की 69 शिकायतें मिलीं। मुझे हर दिन शिकायतें मिल रही हैं। नैनीताल से शिकायत मिली जहां एक महिला दिल्ली में अपने घर जाने में असमर्थ है और उसका पति उसे गाली दे रहा है और पिटाई कर रहा है। वह एक हॉस्टल में शरण लेना चाहती है जहां लॉकडाउन के शेष अवधि में रह सकते है। वह पुलिस के पास भी नहीं जाना चाहती क्योंकि अगर पुलिस वाले उसके पति को ले गए तब भी उसे ससुराल में रहना होगा और उसके साथ दुर्व्यवहार जारी रहेगा।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, महिलाएं पुलिस से संपर्क नहीं करना चाहती हैं क्योंकि पति के हिरासत से रिहा होने के बाद वह घर से कभी नहीं निकल पाएंगी। उन्होंने कहा, "पहले महिलाएं अपने माता-पिता के घर जाती थीं, लेकिन अब वे ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। एनसीडब्ल्यू पीड़ितों के साथ लगातार संपर्क में हैं जिन्होंने आयोग से संपर्क किया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान, घरेलू हिंसा के 69 मामले, गरिमा के साथ जीने के अधिकार के तहत 77 मामले, घर में विवाहित महिलाओं के उत्पीड़न के 15 मामले, दो दहेज हत्या, बलात्कार/बलात्कार का प्रयास के 13 मामले दर्ज हुए हैं।
सबसे ज्यादा शिकायत वालों राज्यों में उत्तर प्रदेश (90), दिल्ली (37), बिहार (18), मध्य प्रदेश (11) और महाराष्ट्र (18) शामिल हैं। एक अधिकारी ने कहा, महिला आयोग एक छोटी सी ईकाई है। इसलिए जाहिर महिलाओं के खिलाफ अपराधों का ज्यादातर मामला हमारे पास नहीं आता है। पुलिस के पास जाने पर ज्यादा सहयोग नहीं मिलता। पीड़ितों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण वे पुलिस से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा में बढ़ोत्तरी बेहद चिंताजनक है।