सीबीआई द्वारा मांगे गए दस्तावेज अनिल देशमुख के खिलाफ जांच के लिए प्रासंगिक नहीं: महाराष्ट्र सरकार

By भाषा | Updated: August 17, 2021 13:48 IST2021-08-17T13:48:28+5:302021-08-17T13:48:28+5:30

Documents sought by CBI not relevant for investigation against Anil Deshmukh: Maharashtra government | सीबीआई द्वारा मांगे गए दस्तावेज अनिल देशमुख के खिलाफ जांच के लिए प्रासंगिक नहीं: महाराष्ट्र सरकार

सीबीआई द्वारा मांगे गए दस्तावेज अनिल देशमुख के खिलाफ जांच के लिए प्रासंगिक नहीं: महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय से मंगलवार को कहा कि वह राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में सहयोग करना चाहती है, लेकिन केंद्रीय एजेंसी ने जो दस्तावेज मांगे हैं, वे इस मामले में ‘‘प्रासंगिक नहीं’’ हैं। सीबीआई ने अदालत में एक अर्जी में महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह देशमुख के खिलाफ जांच संबंधी कुछ दस्तावेज सौंपने से इनकार करके सहयोग नहीं कर रही। राज्य सरकार ने याचिका के जवाब में अपना दालत में शपथपत्र दाखिल किया है। सीबीआई ने पिछले महीने इस अर्जी में कहा था कि उच्च न्यायालय ने केंद्रीय एजेंसी को देशमुख और उनके सहयोगियों के साथ गठजोड़ को लेकर पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण तथा अब बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की बल में बहाली की जांच की अनुमति दी थी, लेकिन सरकार इस आदेश के विपरीत काम कर रही है। उल्लेखनीय है कि जब देशमुख राज्य के गृह मंत्री थे, तब भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी परम बीर सिंह मुंबई के पुलिस आयुक्त थे। सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभालते समय देशमुख ने वाजे और अन्य पुलिस अधिकारियों को मुंबई के बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपए एकत्र करने को कहा था। राज्य सरकार ने अपने शपथपत्र में दावा किया कि अदालत ने कहा था कि सीबीआई के पास उन पुलिस तबादलों की जांच का ‘‘निरंकुश अधिकार’’ नहीं है, जिनका ‘‘देशमुख से कोई संबंध नहीं’’ है। उसने कहा, ‘‘प्रार्थी (सीबीआई) वे दस्तावेज और/या वह सूचना मांग रहा है, जो उस मामले में कतई प्रासंगिक नहीं है, जिसकी वह जांच कर रहा है।’’ शपथपत्र में कहा गया है, ‘‘आवेदक द्वारा मांगे गए दस्तावेजों और/या सामग्रियों का तत्कालीन माननीय गृह मंत्री (देशमुख) और उनके सहयोगियों और/या उनके खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप के साथ भी कोई संबंध नहीं है, इसलिए जांच करने के उद्देश्य से आवेदक को इसकी आवश्यकता नहीं है।’’ सरकार ने कहा कि सीबीआई "दस्तावेजों और/या इस जानकारी की मांग करके अपने अधिकार, अधिकार क्षेत्र और अधिकारों को लांघ रही’’ है। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को यह मामला सुनवाई के लिए आया। खंडपीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 20 अगस्त की तारीख तय की। न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ‘‘हम राज्य सरकार के रुख पर विचार करेंगे, लेकिन राज्य सरकार को नोटिस जारी कर रहे हैं... यदि हमें लगता है कि हमारे आदेशों को पालन नहीं किया जा रहा है.... हम अभी के लिए अपनी टिप्पणियों को सुरक्षित रखते हैं।’’ गृह विभाग के संयुक्त सचिव कैलाश गायकवाड़ ने यह शपथपत्र दायर किया, जिसमें कहा गया है कि अदालत का सशर्त आदेश पारित होने के बाद सीबीआई की जांच में सहयोग करना महाराष्ट्र सरकार और उसके अधिकारी का कर्तव्य है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार की उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने की कोई दुर्भावनापूर्ण मंशा नहीं है।सीबीआई ने पिछले सप्ताह अपने आवेजन में कहा था कि एजेंसी ने राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) को पत्र लिख कर पुलिस तबादला एवं पदस्थापन में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी रश्मि शुक्ला के एक पत्र से जुड़ा ब्योरा मांगा था, लेकिन एसआईडी ने उसे जानकारी देने से इनकार कर दिया। बंबई उच्च न्यायालय ने 22 जुलाई को कहा था कि सीबीआई देशमुख और उनके सहयोगियों के साथ गठजोड़ को लेकर पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण तथा बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की बल में बहाली की जांच कर सकती है। अदालत ने इसके साथ ही देशमुख के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के कुछ हिस्से रद्द करने का आग्रह करने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज कर दी थी।

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Web Title: Documents sought by CBI not relevant for investigation against Anil Deshmukh: Maharashtra government

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