दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि गिरफ्तार हो चुकी क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि उस समय काफी परेशान हो गईं थीं जब ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन पर गलती से टूलकिट ट्वीट कर दिया था। इसके बाद दिशा ने ग्रेटा को इसे डिलीट करने और कुछ और फिलहाल पूरे मुद्दे पर नहीं कहने की भी सलाह दी थी।
पुलिस के अनुसार जब पूरे मामले को लेकर विवाद तेज हुआ तो दिशा किसी वकील से सलाह भी लेना चाहती थीं। उन्हें डर था कि UAPA का इस्तेमाल उनके खिलाफ हो सकता है। पुलिस ने ये दावे मिले व्हाट्सएप चैट के आधार पर किया है।
पुलिस ने साथ ही कहा कि दिशा से जुड़े अन्य लोग निकिता जैकब और शांतनु मुलुक की भी तलाश जारी है। पुलिस ने बताया कि ये तीनों खालिस्तान के समर्थक धालिवाल के एक महिला सहयोगी के जरिए एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। धालीवाल पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नाम से एक संगठन चलाता है।
22 साल की दिशा को दिल्ली पुलिस ने शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा पांच दिनों की पुलिस हिरासत में हैं। पुलिस ने दावा किया कि ग्रेटा थनबर्ग ने दिशा के अनुरोध के बाद कथित रूप से ट्वीट को हटा दिया और बाद में, दस्तावेज का एक संपादित संस्करण साझा किया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार दिशा ने व्हाट्सएप पर थनबर्ग को लिखा, 'ठीक है, क्या ऐसा हो सकता है कि आप टूलकिट को पूरी तरह ट्वीट न करें। क्या हम थोड़ी देर के लिए रुक सकते हैं। मैं वकीलों से बात करने वाली हूं। मुझे खेद है, लेकिन उस पर हमारे नाम हैं और हमारे खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई हो सकती है।'
पुलिस के अनुसार वकील निकिता जैकब और इंजीनियर शांतनु मुलुक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किये गये है। ये दोनों फरार हैं।
टूलकिट मामले में ISI कनेक्शन की भी जांच
संयुक्त पुलिस आयुक्त (साइबर) प्रेम नाथ ने सोमवार को बताया कि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा से 15 दिन पहले 11 जनवरी को इन दोनों ने ‘खालिस्तान समर्थक समूह’ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) द्वारा ऑनलाइन जूम ऐप के माध्यम से आयोजित एक बैठक में भाग लिया था।
नाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बैठक में ‘ग्लोबल फार्मर स्ट्राइक’ और ‘ग्लोबल डे ऑफ एक्शन, 26 जनवरी’ नाम से टूलकिट बनाने के तौर तरीकों पर फैसला लिया गया।
अधिकारियों ने बताया कि वे पीटर फ्रेडरिक नाम के एक शख्स के जरिये आईएसआई के संबंधों की जांच कर रहे हैं जिसका नाम दस्तावेज में है और जिसे संगठन के एक संचालक के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है।
पुलिस ने कहा, ‘दिशा, शांतनु और निकिता ने टूलकिट को बनाया और एडिट किया था। दिशा ने टेलीग्राम ऐप के जरिए ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट भेजी। दिशा ने बाद में उस व्हाट्सएप ग्रुप को डिलीट कर दिया जो उसने टूलकिट को प्रचारित करने के लिए बनाया था।'
(भाषा इनपुट के साथ)