ये बाप-बेटे-भाई और हारे हुए नेता भी हो सकते हैं कमलनाथ के मंत्री, भारी गुटबाजी का अंदेशा

By शिवअनुराग पटैरया | Published: December 20, 2018 10:49 AM2018-12-20T10:49:04+5:302018-12-20T10:49:04+5:30

मुख्यमंत्री मंत्री कमलनाथ के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती गुटीय संतुलन को कायम रखना है मध्यप्रदेश में कांग्रेस विभिन्न गुटों में बंटी हुई है.प्रदेश में सबसे बड़ा गुट या समर्थकों की संख्या दिग्विजय सिंह की मानी जाती है.

Digvijay Singh himself is his brother Lakshman Singh and son Jayewardhan Singh will be in cabinet of Kamalnath | ये बाप-बेटे-भाई और हारे हुए नेता भी हो सकते हैं कमलनाथ के मंत्री, भारी गुटबाजी का अंदेशा

फाइल फोटो

कमलनाथ के लिए अपना मंत्रिमंडल गठित करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में अधिकतम 32 लोगों को शरीक किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल कमलनाथ लगभग 20 लोगों को मंत्री बनाने की तैयारी कर रहे हैं.

जानकार सूत्रों की माने तो कमलनाथ के समक्ष मंत्रिमंडल में गुटीय संतुलन को ज्यादा महत्व देना होगा. क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन कायम रखना सबसे बड़ी चुनौती भी उनके सामने है. ऐसे में कांग्रेस का हर गुट अपने-अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा मंत्री बनाना चाह रहा है.

फिलहाल मंत्रीमंडल के लिए जिन लोगों के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं उनमें कमलनाथ समर्थक सज्जन सिंह वर्मा, बाला बच्चन, तरुण भानोत, दीपक सक्सेना, कमलेश्वर पटेल (वैसे वे दिग्विजय सिंह के भी साथ है) के नाम प्रमुख है तो सिंधिया समर्थकों में तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद राजपूत के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं.

इसके अलावा दिग्जिवय सिंह खुद उनके भाई लक्ष्मण सिंह और बेटे जयवर्धन सिंह, आरिफ अकील, पीसी शर्मा, डा. गोविंद सिंह के नाम लिए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि चुरहट से विधानसभा चुनाव हार चुके अजय सिंह को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री मंत्री कमलनाथ के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती गुटीय संतुलन को कायम रखना है मध्यप्रदेश में कांग्रेस विभिन्न गुटों में बंटी हुई है.प्रदेश में सबसे बड़ा गुट या समर्थकों की संख्या दिग्विजय सिंह की मानी जाती है. इसके अलावा खुद कमलनाथ के समर्थकों का एक बड़ा समूह है. उनके समर्थक अपने साब के मुख्यमंत्री बनने पर सत्ता में भागीदारी करने पर बेताब हैं.

चंबल, ग्वालियर और मालवा में सबसे बड़े ताकतवर गुट के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को माना जाता है इसके अलावा पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के भी अपने अपने गुट हैं.

अरुण यादव अपने भाई सचिन यादव को मुख्यमंत्री बनवाना चाह रहे हैं. इन नामों के अतिरिक्त संजय शर्मा, एन.पी. प्रजापति, बृजेन्द्र सिंह, नीलांशु चतुर्वेदी, उमंग सिंंगार, के.पी. सिंह के नाम भी संभावित मंत्रियों के तौर पर लिए जा रहे हैं.

संजय शर्मा तो चुनाव के दौरान ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. जानकार सूत्रों के अनुसार जिन लोगों के नाम मंत्रिमंडल के लिए और चल रहे हैं उनमें विजयलक्ष्मी साधो भी शरीक हैं. वैसे उन्हें अथवा डा. गोविन्द सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाये जाने के कयास है.

कांग्रेस के भीतर माना जा रहा है कि कमलनाथ आगामी लोकसभा चुनाव को मद्देनजर कुछ कम चर्चित चेहरों को उनके जातिगत और क्षेत्रीय आधार के चलते मंत्रिमंडल में जगह देंगे.

इसके साथ ही सरकार के गठन में कांग्रेस को समर्थन दे रहे, चार निर्दलीय में से कम से कम दो निर्दलीय को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. वैसे मंत्रिमंडल के विस्तार में वारासिवनी से जीते प्रदीप जायसवाल और बुरहानपुर से ही जीते सुरेन्द्र सिंह शेर भैय्या के नाम प्रमुख हैं.

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