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बीजेपी के गढ़ धनबाद में कीर्ति आजाद क्या दे पाएंगे चुनौती, जानें इस सीट का राजनीति समीकरण

By पल्लवी कुमारी | Updated: May 12, 2019 08:44 IST

धनबाद लोकसभा सीट: धनबाद सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार पशुपति नाथ सिंह का मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी कीर्ति आजाद से हैं। पशुपति नाथ सिंह (पीएन सिंह) धनबाद लोकसभा सीट से 2009 और 2014 के चुनाव में जीत चुके हैं।

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ठळक मुद्दे2014 के लोकसभा चुनाव में पशुपति नाथ सिंह ने कांग्रेस के अजय कुमार दुबे को हराया था। रीता वर्मा 1991 से लेकर 2004 तक लगातार बीजेपी से धनबाद से सांसद रहीं।

लोकसभा चुनाव 2019 में आज ( 12 मई) को झारखंड की हाई प्रोफाइल सीट धनबाद लोकसभा सीट पर चुनाव हो रहे हैं। चुनाव सुबह सात से है। धनबाद सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार पशुपति नाथ सिंह का मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी कीर्ति आजाद से हैं। पशुपति नाथ सिंह (पीएन सिंह) धनबाद लोकसभा सीट से 2009 और 2014 के चुनाव में जीत चुके हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या कीर्ति आजाद धनबाद लोकसभा सीट से पीएन सिंह को हरा पाएंगे? 2014 के लोकसभा चुनाव में पशुपति नाथ सिंह ने कांग्रेस के अजय कुमार दुबे को हराया था। 

बिहार से वर्ष 2000 में अलग होने वाले राज्य झारखंड की राजनीति में हमेशा से ही उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में झारखंड की राजनीति के समीकरण भी काफी बदलने के आसार हैं। केन्द्र और विपक्षी पार्टियों की तैयारी जोरों शोरों पर है। भारतीय जनता पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह जीत चाहती है तो वहीं कांग्रेस उन्हें सत्ता से हटाने की पुरी तैयारी में है। 

कीर्ति आजाद का परियच 

कीर्ति आजाद का पूरा नाम कीर्तिवर्धन भागवत झा आजाद है। इनका जन्म बिहार के पूर्णिया में हुआ था। ये एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं। कीर्ति आजाद 1983 विश्व कप जितने वाली भारतीय टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं। कीर्ति आजाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे हैं। कीर्ति आजाद 2014 2014 के लोकसभा चुनाव में दरभंगा लोकसभा सीट से जीते थे। 

धनबाद लोकसभा सीट का परिचय

धनबाद लोकसभा सीट के अंदर बोकारो और धनबाद के जिले आते हैं। धनबाद देश में कोयला राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। धनबाद में कोयला के अलावा और भी कई तरह के खनिज भी पाए जाते हैं। देश के विभिन्न राज्यों में यहां से कोयला सप्लाई होता है। मुंबई के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे सब डिवीजन है। जनसंख्या की दृष्टि से ये भारत का 42वां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। इसके पड़ोसी राज्य बिहार और बंगाल हैं। धनबाद में दमोदर नदी है। यहां हिंदी बोली जाती है।

भारत की अंतिम जनगणना(2011) के मुतबिक, धनबाद की आबादी 28,46,954 है। यहां की औसत साक्षरता दर 75.71 फीसदी है। धनबाद लोकसभा सीट में छह विधानसभा सीट हैं। धनबाद को क्षेत्रफल 2,886 वर्ग. किमी. है।

धनबाद लोकसभा सीट का इतिहास 

धनबाद लोकसभा सीट पर साल 1952 से अब-तक हुए लोकसभा के 16 चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी छह बार जीत चुके हैं। लेकिन कांग्रेस का कोई एक ही प्रत्याशी नहीं है, जिसने हमेशा सीट पर जीत दर्ज की हो। कांग्रेस बार-बार प्रत्याशी बदल-बदल सीट पर जीत दर्ज की है। 

झारखंड सरकार की अधिकारिक वेबसाइट पर लोकसभा चुनाव के आकड़ों के मुताबिक, साल 1952 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार पीसी बोस विजयी हुए थे। उसके बाद 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने डीसी मल्लिक को अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि वो भी चुनाव में जीत गए थे। 

1962 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पीआर चक्रवर्ती, 1971 के आम चुनाव में राम नारायण शर्मा, 1984 के लोकसभा चुनाव में शंकर दयाल सिंह ने जीत हासिल की थी।  2004 के लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर दुबे जीते थे। लेकिन 2009 के चुनाव में  कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रशेखर दुबे हार गए थे। 2004 के बाद यहां कांग्रेस नहीं जीती है। ददई दुबे इस बार कांग्रेस नहीं बल्कि  तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। 

साल 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार प्रोफेसर रीता वर्मा ने जीत हासिल की थी। 1991 के लोकसभा चुनाव के बाद, 1996, 1998, 1999 में भी धनबाद सीट से बीजेपी की रीता वर्मा ही जीती थी। असल में धनबाद में एक बैंक डकैती को रोकते समय आईपीएस रणधीर कुमार वर्मा का निधन(1991) हो गया था। निधन के बाद भारत सरकार ने उन्हें अशोक चक्र से नवाजा था। रणधीर कुमार वर्मा के निधन के बाद से उनकी पत्नी रीता वर्मा राजनीति से जुड़ गईं। रीता वर्मा 1991 से लेकर 2004 तक लगातार बीजेपी से  धनबाद से सांसद रहीं।  2004 के लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर दुबे जीते थे, जो कांग्रेस के नेता हैं। 

2009 में धनबाद लोकसभा सीट से बीजेपी की जीत हुई। पशुपति नाथ सिंह सांसद बने। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पशुपति नाथ सिंह ही जीते। जो तत्कालिन सांसद हैं। अगर पशुपति नाथ सिंह धनबाद लोकसभा सीट से जीतते हैं तो ये उनकी तीसरी जीत होगी। वहीं, कांग्रेस भी फिर से सीट पर वापसी करने की पुरी तैयारी में है। लेकिन स्थानीय मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी का ही पलड़ा भारी लग रहा है। 

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