काम से कन्नी काटना, झूठे मेडिकल का बहाना और फोन बंद रखना ‘अस्वीकार्य’ और ‘गंभीर कदाचार’, कोर्ट ने कहा

By भाषा | Published: June 18, 2020 05:26 PM2020-06-18T17:26:50+5:302020-06-18T17:27:35+5:30

कड़कड़डूमा अदालत ने सख्त टिप्पणी की है। काम से जी चुराना, फोन बंद रखना, झूठे मेडिकल बहाने के आधार पर काम से बचना सभी गंभीर कदाचार है। ऐसे कर्मचारी को सजा मिलनी चाहिए।

Delhi's Court Cutting work avoiding false medical work and keeping phone off 'unacceptable' 'serious misconduct' | काम से कन्नी काटना, झूठे मेडिकल का बहाना और फोन बंद रखना ‘अस्वीकार्य’ और ‘गंभीर कदाचार’, कोर्ट ने कहा

गंभीर कदाचार है और एवं दोषी अधिकारी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिये उत्तरदायी होगा।

Highlightsकोविड-19 के चलते कार्यस्थगन के दिनों में कुछ कर्मी बिना पूर्वानुमति के पिछले आदेश का उल्लंघन करते हुए कार्यस्थल छोड़ रहे हैं। अधिकारियों और शाखा प्रभारियों ने बताया है कि कुछ कर्मी झूठे बहाने के आधार पर काम से कन्नी काट रहे हैं।

नई दिल्लीः दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा है कि न्यायाधीश की पूर्वानुमति के बिना कार्यस्थल छोड़ना, झूठे मेडिकल बहाने के आधार पर काम से बचना, कोविड-19 लॉकडाउन के कारण कार्यस्थगन के दौरान फोन बंद रखना बिल्कुल ‘अस्वीकार्य’ तथा ‘गंभीर कदाचार’ के समान है और ऐसे अदालत कर्मी अनुशासनिक कार्रवाई के लिये उत्तरदायी होंगे।

पंद्रह जून को जारी किये गये परिपत्र में जिला न्यायाधीश (उत्तर पूर्व) सुधीर कुमार जैन ने कहा कि कुछ न्यायिक अधिकारियों से शिकायत मिल रही हैं कि कोविड-19 के चलते कार्यस्थगन के दिनों में कुछ कर्मी बिना पूर्वानुमति के पिछले आदेश का उल्लंघन करते हुए कार्यस्थल छोड़ रहे हैं।

परिपत्र में कहा गया है, ‘‘ कुछ न्यायिक अधिकारियों और शाखा प्रभारियों ने बताया है कि कुछ कर्मी झूठे बहाने के आधार पर काम से कन्नी काट रहे हैं और कुछ कर्मी अपना मोबाइल बंद या फ्लाइट मोड में रखते हैं ताकि वे जरूरी काम के समय भी उनसे संपर्क नहीं हो पाए।’’ परिपत्र में कहा गया है, ‘‘ ऐसा आचरण बिल्कुल अस्वीकार्य है और यह गंभीर कदाचार है और एवं दोषी अधिकारी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिये उत्तरदायी होगा।’’

मास्क पहनने की तस्वीरें बदलावों के साथ प्रकाशित करने पर विचार करे स्वास्थ्य मंत्रालय: अदालत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय को कहा है कि वह कोविड-19 महामारी के दौरान मास्क पहनने के तौर तरीकों संबंधी तस्वीरें कुछ बदलावों के साथ प्रकाशित करने पर विचार करे। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही दिशा-निर्देश जारी कर चुका है कि इस महामारी के दौरान लोग कब और किस तरह मास्क का इस्तेमाल करें।

पीठ ने बुधवार को पारित और बृहस्पतिवार को उपलब्ध अपने आदेश में कहा, ''हमें उत्तरदाताओं (केंद्र और दिल्ली सरकार) को इस संबंध में मार्गदर्शन या निर्देश देने का कोई कारण दिखाई नहीं देता। फिर भी, यदि प्रतिवादी (स्वास्थ्य मंत्रालय) को उसके विशेषज्ञ सलाह देते हैं, तो वह चित्रात्मक प्रस्तुति में आवश्यक बदलाव या दिशा-निर्देशों में संशोधन, कर सकता है।'' अदालत ने पुलकित जैन द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किया।

याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में कोविड -19 महामारी के दौरान सभी प्रकार के मास्क को ठीक ढंग से पहनने के लिये अधिकारियों को नियम बनाने और उन्हें सार्वजनिक करने का निर्देश दिया जाए। केंद्र और दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से पहले ही इस बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके हैं कि मास्क का उपयोग कब और कैसे किया जाए। इसे तस्वीरों के जरिये समझाया भी गया है। 

Web Title: Delhi's Court Cutting work avoiding false medical work and keeping phone off 'unacceptable' 'serious misconduct'

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