दिल्ली: मार्च निकाल महिलाओं ने किया आह्वान- मोदी को हराओ, ये सरकार ले आई फासीवाद

By निखिल वर्मा | Published: April 4, 2019 02:36 PM2019-04-04T14:36:50+5:302019-04-04T14:55:26+5:30

''बाकी कोई भी सेक्युलर पार्टी हो उसके राज में लड़ने की जगह बचती है। इस सरकार के अंदर वो बिल्कुल भी पॉसिबल नहीं है और अभी नजर आ रहा है कि कम से कम 75 फीसदी जो डेमोक्रेटेड स्पेसेज हैं वे कब्जाए जा चुके हैं।''

Delhi: Women Protest and March against BJP Narendra Modi Govt, Say this brings Fascism | दिल्ली: मार्च निकाल महिलाओं ने किया आह्वान- मोदी को हराओ, ये सरकार ले आई फासीवाद

लोकसभा चुनाव से पहले राजधानी दिल्ली में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मार्च कर महिलाओं ने आक्रोश जाहिर किया।

Highlightsनरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ महिलाओं ने निकाला मार्चमोदी सरकार को बताया फासीवादी, आह्वान में कहा- इन्हें हराओ

लोकसभा चुनाव से पहले राजधानी दिल्ली में महिलाओं का एक बड़ा समूह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगाते हुए नाराजगी बयां कर रहा है। गुरुवार (4 अप्रैल) को दिल्ली के मंडी हाउस से जंतर-मंतर कर महिलाओं ने मोदी सरकार के खिलाफ हाथों में तख्तियां लेकर नारें लगाते हुए मार्च किया। रैली में शामिल महिलाओं ने लोकमत न्यूज से बात की। ज्यादातर महिलाओं ने मोदी सरकार को फासीवादी करार दिया। उनका कहना है कि मोदी सरकार के पांच साल में महिलाओं के हालात सबसे बदतर हुए हैं। मोदी सरकार बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा तो लगाती है लेकिन इसके लिए अखबार में अपनी तस्वीर छपवाकर पैसा खर्च करती है। 

मार्च में शामिल एक आंदोलन कार्यकर्ता ने कहा, ''20 राज्यों में 135 जगहों पर यह मार्च हो रहा है, महिलाओं का मार्च है, पूरे पांच साल में जो कुछ देश में महौल बना है, हमारे सारे जो संवैधानिक स्ट्रक्चर्स हैं उनको तोड़ा जा रहा है, संविधान को बदलने की कोशिश है, महिलाओं के पूरे जो हक हैं चाहे वो एक किसान महिला हो या आदिवासी महिला हो या मुस्लिम महिला हो, सारी महिलाएं पीड़ित हैं। 

जब एजुकेशन पे हमला होता है तो महिला अफैक्टेड होती है। जब नोटबंदी होती है तो महिला अफैक्टेड होती है। तो इस सरकार के खिलाफ एक आवाज बुलंद कर रहे हैं और ये आह्वान कर रहे हैं कि आने वाले इलेक्शन में इस सरकार को हराएं और पूरी एक जो साजिश है इस देश को फासीवादी बनाने की उसके खिलाफ महिलाएं मिलकर आवाज उठाएं। 

दूसरी राजनीतिक पार्टी महिलाओं के मुद्दों पर कितना काम कर रही हैं के सवाल पर महिला आंदोलनकारी ने कहा, ''महिलाओं के मुद्दे पर कोई भी पार्टी खरी नहीं उतर रही है लेकिन आपके देश में अगर लोकतंत्र रहेगा, अगर संविधान रहेगा तो आप लड़ाई भी कर पाएंगे। ये डिफरेंस हैं कि बाकी कोई भी सेक्युलर पार्टी हो उसके राज में लड़ने की जगह बचती है। इस सरकार के अंदर वो बिल्कुल भी पॉसिबल नहीं है और अभी नजर आ रहा है कि कम से कम 75 फीसदी जो डेमोक्रेटेड स्पेसेज हैं वे कब्जाए जा चुके हैं। दोबारा ये आते हैं तो यहां बिल्कुल फांसीवादी शासन चलेगा। इसलिए पहले उनको रोकना.. बाकियों से भी हमारी तो लड़ाई जारी रहेगी। 

कार्यकर्ता ने आगे कहा, महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा पर मोदी सरकार पूरी तरह से फेल है। जब कठुआ में रेप होता है तो रेपिस्ट के सपोर्ट में जो सत्ताधारी पार्टी है उसके लोग उसके लिए कैंपेन करते हैं। जब किसी का लिंचिंग होके मर्डर होता है तो उसके गले में हार पहनाती है बीजेपी पार्टी और उसके मंत्री। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अभियान में पचास फीसदी पैसा जो है वो तो मोदी जी के कैंपेन में जाता है, अपनी फोटो लगाकर उसको अखबारों में देते हैं। सेक्स रेसियो नहीं बदला.. कुछ नहीं बदला। सिर्फ फेल नहीं हुए हम जहां थे वहां से हमको बहुत पीछे ले गई ये सरकार। 

जब आप हिंदू राष्ट्र का नारा देते हैं तो उसका मतलब ये हैं कि अपर कास्ट की औरत को छोड़कर बाकी किसी की जगह नहीं है क्योंकि हिंदू राष्ट्र दलित महिला की भी जगह नहीं है, मुसलमान, क्रिश्चियन और आदिवासी को तो आप छोड़ ही दीजिए।''

मार्च में शामिल एक मुस्लिम महिला ने कहा, ''तलाक नहीं हटवाया, जो लागू था वही अब है, दिल्ली की महिला और लोग चाहते हैं कि केजरीवाल आएं। बच्चों का बिना प्रूफ एडमिशन होने से वे नशे से बच रहे हैं। पहले पानी ब्लैक होता था अब परेशानी दूर गई है। 

प्रोटेस्ट में शामिल एक छात्रा ने कहा, ''महिलाओं की स्थिति पर कमेंट नहीं करूंगी, करना नहीं चाहिए, छात्रा होने के नाते महसूस कर सकती हूं कि पांच साल हो गए हैं और कैसे इनटॉलेरेंस इतना बढ़ा है, बोलने की फ्रीडम नहीं है, सरकार नहीं चाहती कि छात्र बालें, लिबरल रह सकें, तो यह फासीवाद की शुरुआत है।''

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