दिल्ली दंगे: अदालत ने तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, उच्च न्यायालय को सूचित किया गया

By भाषा | Published: June 17, 2021 06:55 PM2021-06-17T18:55:51+5:302021-06-17T18:55:51+5:30

Delhi riots: Court orders immediate release of all three student activists, informs High Court | दिल्ली दंगे: अदालत ने तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, उच्च न्यायालय को सूचित किया गया

दिल्ली दंगे: अदालत ने तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, उच्च न्यायालय को सूचित किया गया

नयी दिल्ली, 17 जून दिल्ली उच्च न्यायालय को बृहस्पतिवार को सूचित किया गया कि निचली अदालत ने जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा तथा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्राओं देवांगना कालिता तथा नताशा नरवाल को जेल से तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है जिन्हें उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामले में 15 जून को जमानत दी गई थी।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने इसपर कहा, ‘‘यह शानदार है।’’

पीठ ने कहा कि आगे और किसी आदेश की जरूरत नहीं है तथा इसने तीनों छात्रों की याचिकाओं का निपटारा कर दिया जिन्होंने जेल से तत्काल रिहाई का आग्रह किया था और कहा था कि जमानत आदेश के 36 घंटे बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया है।

उच्च न्यायालय को आरोपियों के वकील ने सूचित किया कि निचली अदालत ने आज दिन में उनकी अंतरिम रिहाई का आदेश पारित किया जो दस्तावेजों और पते के सत्यापन का विषय है, और रिहाई वारंट इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जेल अधीक्षक को भेज दिए गए हैं।

सुबह के समय जारी अपने आदेश के क्रम में पीठ अपराह्न साढ़े तीन बजे बैठी।

उच्च न्यायालय ने सुबह के अपने आदेश में निचली अदालत से आरोपियों की रिहाई के मामले पर ‘‘तत्परता’’ से गौर करने को कहा था।

पीठ ने आरोपियों के वकील और दिल्ली पुलिस से संयुक्त रूप से दोपहर 12 बजे निचली अदालत के समक्ष रिहाई का मामला रखने को कहा था।

इसके बाद, निचली अदालत ने आरोपियों को उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप जेल से तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।

तनहा के वकील ने निचली अदालत में शपथपत्र दायर किया कि उनका मुवक्किल दिल्ली नहीं छोड़ेगा।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘जब निचली अदालत ने एक बार जेल अधीक्षक को रिहाई का आदेश जारी कर दिया है तो मामला खत्म हो गया। अब और कुछ किए जाने की जरूरत नहीं है। आज का हमारा पहला कदम आपकी रिहाई है।’’

सुनवाई के दौरान तनहा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने चार जून के अपने आदेश में, जिसमें उनके मुवक्किल को परीक्षा में बैठने के लिए हिरासत में अंतरिम जमानत मिली थी, शर्त रखी थी कि अंतरिम जमानत खत्म होने पर छात्र को अपना लैपटॉप फॉरेंसिक ऑडिट के लिए पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के पास जमा करना होगा।

उन्होंने कहा कि वह लैपटॉप जमा करने को तैयार है लेकिन यह शर्त उसकी रिहाई को नहीं रोकेगी।

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि आरोपियों को नियमित जमानत मिलने के मद्देनजर राज्य और फॉरेंसिक ऑडिट नहीं करना चाहता।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि क्योंकि वह 15 जून के अपने आदेश में पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इस आदेश के बाद चार जून का अंतरिम हिरासत जमानत का आदेश प्रभावी नहीं रह गया है, इसलिए अन्य किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है।

इन छात्रों को पिछले साल फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। इन्हें उनके पते और जमानतदारों से जुड़ी जानकारी पूर्ण न होने का हवाला देते हुए समय पर जेल से रिहा नहीं किया गया था।

दिल्ली पुलिस ने 16 जून को आरोपियों को जमानत पर रिहा करने से पहले उनके पते, जमानतदारों तथा आधार कार्ड के सत्यापन के लिए अदालत से और समय मांगा था। पुलिस के इस आवेदन को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने उन्हें दिल्ली में आरोपियों के पते को सत्यापित करने और बृहस्पतिवार शाम पांच बजे रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। वहीं, अन्य राज्य में उनके पते के सत्यापन पर अदालत ने उन्हें 23 जून को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

इसके अलावा, अदालत ने उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी का हवाला दिया, जिसमें उसने कहा था कि एक बार जब कैद में रखे गए लोगों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया है और मुचलके के साथ जमानतदारों को प्रस्तुत किया गया है, तो उन्हें ‘‘एक मिनट के लिए भी’’ सलाखों के पीछे नहीं रहना चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ यह देखा गया कि राज्य को न्यूनतम संभव समय के भीतर इस तरह की सत्यापन प्रक्रिया के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करना चाहिए और ऐसा कोई कारण नहीं हो सकता है, जो ऐसे व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित करने के लिए पर्याप्त हो।’’

उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद कार्यकर्ताओं ने तत्काल जेल से रिहाई के लिए अदालत का रुख किया था, जिसने मामले पर बुधवार को अपना आदेश बृहस्पतिवार तक के लिए टाल दिया था।

गौरतलब है कि 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसने सांप्रदायिक टकराव का रूप ले लिया था। हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी तथा करीब 200 लोग घायल हो गए थे। इन तीनों पर मुख्य ‘‘साजिशकर्ता’’ होने का आरोप है।

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Web Title: Delhi riots: Court orders immediate release of all three student activists, informs High Court

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