दिल्ली में प्रतिपूरक वनरोपण वाली गैर-वन भूमि का स्वामित्व वन विभाग को सौंपने से दी गई छूट, डीडीए को होगा पेड़ों को काटने का अधिकार

By विशाल कुमार | Published: September 27, 2021 10:07 AM2021-09-27T10:07:55+5:302021-09-27T10:15:14+5:30

वकील प्रत्यूष जैन द्वारा दायर आरटीआई में प्रतिपूरक वनीकरण भूमि का मालिकाना वन विभाग को दिए जाने के सवाल पर कहा गया कि दिल्ली को एक विशेष मामला मानते हुए, राज्य वन विभाग के पक्ष में भूमि का स्वामित्व सौंपने की शर्त को माफ कर दिया गया है.

delhi non-forest-land-used-for-compensatory-afforestation-not-declared-protected-rti | दिल्ली में प्रतिपूरक वनरोपण वाली गैर-वन भूमि का स्वामित्व वन विभाग को सौंपने से दी गई छूट, डीडीए को होगा पेड़ों को काटने का अधिकार

फाइल फोटो.

Highlightsवन संरक्षण अधिनियम, 1980 को लागू करने के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रतिपूरक वनीकरण के लिए चिन्हित गैर वन भूमि का स्वामित्व प्रदेश के वन विभाग को दिया जाएगा.पर्यावरण मामलों के वकील ऋत्विक दत्ता का कहना है कि यदि स्वामित्व डीडीए के पास है तो पेड़ों को काटा जा सकता है.प्रतिपूरक वनरोपण के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश गैर-वन भूमि को संरक्षित वन भी घोषित नहीं किया गया है.

नई दिल्ली:दिल्ली में प्रतिपूरक वनरोपण के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश गैर-वन भूमि का स्वामित्व वन विभाग को नहीं सौंपा गया है, जिससे डीडीए के पास पेड़ों का काटने का अधिकार रहेगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वकील प्रत्यूष जैन द्वारा दायर आरटीआई में प्रतिपूरक वनीकरण भूमि का मालिकाना वन विभाग को दिए जाने के सवाल पर कहा गया कि दिल्ली को एक विशेष मामला मानते हुए, राज्य वन विभाग के पक्ष में भूमि का स्वामित्व सौंपने की शर्त को माफ कर दिया गया है.

2019 में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्रतिपूरक वनीकरण के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि पर डीडीए को स्वामित्व बनाए रखने की अनुमति देने के लिए लिखा था.

बता दें कि, वन संरक्षण अधिनियम, 1980 को लागू करने के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रतिपूरक वनीकरण के लिए चिन्हित गैर वन भूमि का स्वामित्व राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के वन विभाग को दिया जाएगा. ये दिशानिर्देश मार्च, 2019 से लागू हैं.

पर्यावरण मामलों के वकील ऋत्विक दत्ता का कहना है कि यदि स्वामित्व डीडीए के पास है, लेकिन इसे संरक्षित भूमि के रूप में घोषित किया गया है, तो पेड़ों को काटा जा सकता है, लेकिन वे भूमि पर निर्माण या कोई गैर-वन गतिविधि नहीं कर सकते हैं.

वहीं, वकील आदित्य प्रसाद का कहना है कि अगर भूमि का मालिकाना हक डीडीए के पास रहता है तो वह कभी भी नियमों में बदलाव कर उसका उपयोग कर सकती है.

वहीं, दिल्ली में प्रतिपूरक वनरोपण के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश गैर-वन भूमि को अभी तक संरक्षित वन भी घोषित नहीं किया गया है, जिससे प्रतिपूरक वनीकरण के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि के बड़े हिस्से को असुरक्षित छोड़ दिया गया है.

जैन द्वारा दायर आरटीआई के जवाब से पता चला कि कुल 136.55 हेक्टेयर भूमि को भारतीय वन अधिनियम के तहत 'संरक्षित' या 'आरक्षित' वन के रूप में अधिसूचित किया जाना है. प्रतिपूरक वनीकरण के लिए लगभग 37.54 हेक्टेयर गैर-वन भूमि यमुना बाढ़ क्षेत्र में है. मदनपुर खादर क्षेत्र में कुल 35.16 हेक्टेयर है.

संरक्षित घोषित की गई गैर-वन भूमि के बारे में सवाल पर आरटीआई के जवाब में कहा गया कि गैर वन भूमि में प्रतिपूरक वृक्षारोपण क्षेत्रों को संरक्षित वन घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है.

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