अदालत ने सुदर्शन टीवी के मुसलमानों से संबंधित कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाई

By भाषा | Published: August 28, 2020 10:05 PM2020-08-28T22:05:08+5:302020-08-28T22:05:08+5:30

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व और मौजूदा छात्रों की ओर से दायर याचिका पर केन्द्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), सुदर्शन टीवी और उसके प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Delhi high court stayed broadcast of Sudarshan TV program related to Muslims | अदालत ने सुदर्शन टीवी के मुसलमानों से संबंधित कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाई

टीवी चैनल को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। (file photo)

Highlightsकार्यक्रम का मकसद जामिया मिल्लिया इस्लामिया, इसके पूर्व छात्रों और मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना और उनके खिलाफ नफरत फैलाना है।'बिंदास बोल' कार्यक्रम के ट्रेलर की वीडियो क्लिप दिखाते हुए कहा कि इसमें (टीवी) कार्यक्रम नियमावली का उल्लंघन किया गया है। अदालत में पेश हुए केन्द्र सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि मंत्रालय को इस संबंध में कई शिकायतें मिली हैं।

नई दिल्लीःदिल्ली उच्च न्यायालय ने सुदर्शन टीवी के 'बिंदास बोल' कार्यक्रम के प्रसारण पर शुक्रवार को रोक लगा दी। इस विवादित कार्यक्रम के हाल ही में जारी ‘प्रोमो’ में दावा किया गया था कि चैनल 'सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की घुसपैठ की बड़ी साजिश का पर्दाफाश करने के लिये एक कार्यक्रम प्रसारित करने को पूरी तरह से तैयार है।'

कार्यक्रम शुक्रवार रात आठ बजे प्रसारित होना था। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व और मौजूदा छात्रों की ओर से दायर याचिका पर केन्द्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), सुदर्शन टीवी और उसके प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। उच्च न्यायालय ने इस विषय को सात सितंबर के लिये सूचीबद्ध किया है। याचिका में दलील दी गई है कि प्रस्तावित कार्यक्रम का मकसद जामिया मिल्लिया इस्लामिया, इसके पूर्व छात्रों और मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना और उनके खिलाफ नफरत फैलाना है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता शादान फरासत ने टीवी चैनल द्वारा जारी 'बिंदास बोल' कार्यक्रम के ट्रेलर की वीडियो क्लिप दिखाते हुए कहा कि इसमें (टीवी) कार्यक्रम नियमावली का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर यह कार्यक्रम प्रसारित हुआ, तो याचिकाकर्ताओं को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से अदालत में पेश हुए केन्द्र सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि मंत्रालय को इस संबंध में कई शिकायतें मिली हैं।

टीवी चैनल को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा, '' दलीलों पर विचार करते हुए, अगली सुनवाई तक प्रतिवादी नंबर 3 और चार (सुदर्शन टीवी और चव्हाणके) को आज रात आठ बजे प्रसारित होने वाले कार्यक्रम 'बिंदास बोल' का प्रसारण रोकने का आदेश दिया जाता है। '' अदालत ने कहा कि इस दौरान मंत्रालय टीवी चैनल को जारी नोटिस पर फैसला ले और अदालत को इस बारे में अवगत कराये। प्रारंभ में संघ लोक सेवा आयोग को भी याचिका में एक पक्ष बनाया गया था।

हालांकि, सुनवाई के दौरान यूपीएससी के वकील ने कहा कि वह न तो इस याचिका में जरूरी और न ही उचित पक्ष है। उनकी इस दलील के बाद याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वह पक्षों की सूची से यूपीएससी का नाम हटा देंगे। सैयद मुजतबा अतहर, रितेश सिराज और आमिर सुब्हानी की याचिका में ट्रेलर और कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने और उन सभी वीडियो को हटाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की गई थी, जिन्हें इंटरनेट पर अपलोड किया गया है।

याचिका के अनुसार ट्रेलर को 25 अगस्त को सोशल मीडिया पर चैनल के प्रधान संपादक द्वारा अपलोड किया गया था और याचिकाकर्ताओं को 27 अगस्त को इसके बारे में पता चला, जब वह वायरल हुआ। याचिका में कहा गया है, “प्रतिवादी नंबर 4 (चव्हाणके) का मकसद खुलेआम गैर-मुस्लिम दर्शकों को यह कह कर भयभीत करना और उकसाना था कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कथित 'जिहादी' या आतंकवादी जल्द ही कलेक्टर और सचिव जैसे अधिकार प्राप्त तथा शक्तिशाली पदों पर कब्जा कर लेंगे। ''

याचिका में कहा गया है कि प्रस्तावित कार्यक्रम के प्रसारण से याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा के साथ-साथ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मौजूदा और पूर्व छात्रों को खतरा पैदा हो जाएगा, जिनमें 2020 में सिविल सेवा परीक्षा देने वाले भी शामिल है। साथ ही, मुस्लिम समाज को भी इससे खतरा पैदा हो सकता है। 

Web Title: Delhi high court stayed broadcast of Sudarshan TV program related to Muslims

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