दिल्ली हाई कोर्ट ने डिजायनर को फेसमास्क पर डीपीएस का लोगो और ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने से रोका

By भाषा | Updated: July 18, 2020 14:41 IST2020-07-18T14:41:51+5:302020-07-18T14:41:51+5:30

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक फैशन डिजायनर को फेसमास्क बनाने में दिल्ली पब्लिक स्कूल के ट्रेडमार्क और लोगो का इस्तेमाल करने से रोक लगा दिया है।

Delhi High Court prohibits Desirener from using DPS logo on facemask | दिल्ली हाई कोर्ट ने डिजायनर को फेसमास्क पर डीपीएस का लोगो और ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने से रोका

दिल्ली हाई कोर्ट ने डिजायनर को फेसमास्क पर डीपीएस का लोगो और ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने से रोका

Highlightsदिल्ली उच्च न्यायालय ने एक फैशन डिजायनर को फेसमास्क का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि इससे संस्थान के कॉपीराइट का उल्लंघन होता है।

नई दिल्लीःदिल्ली उच्च न्यायालय ने एक फैशन डिजायनर को फेसमास्क बनाने में दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) के ट्रेडमार्क और लोगो (निशान) का इस्तेमाल करने से रोक दिया और कहा कि इससे संस्थान के कॉपीराइट का उल्लंघन होता है। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने अपने अंतिरम आदेश में कहा कि वादी डीपीएस सोसायटी की दलीलों से उसके पक्ष में मामला बनता है और यदि अंतिरम स्थगन नहीं लगाया जाता है तो उसे अपूरणीय क्षति होगी।

 उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘(मास्क पर) डिजायन पर महज एक नजर डालने से पता चलता है कि यह न केवल वादी (डीपीएस सोसायटी) के ट्रेडमार्ग एवं लोगो का उल्लंघन करता है बल्कि इससे यह भी धारणा बनती है कि ये चीजें वादी की हैं।’’ मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। डीपीएस सोसायटी ने कहा कि वह देश में 200 विद्यालय चला रही है और उसे अपने लोगो के इस्तेमाल पर विशेष अधिकार है जिसे दिसंबर, 2012 में ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत दर्ज किया था। 

उसने यह भी कहा कि ट्रेडमार्क ‘दिल्ली पब्लिक स्कूल’ और ‘डीपीएस’ भी ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं। उच्च न्यायालय को सोयायटी ने बताया कि उसे जून, 2020 के पहले सप्ताह में मंसूर अली खान से वीडियो मिला जिसमें ‘दिल्ली पब्लिक स्कूल’ ट्रेडमार्क के फेस मास्क के निर्माण की खबर एक टेलीविजन पर प्रसारित किये जाने की सूचना थी। 

खबर में कहा गया था कि दिल्ली पब्लिक स्कूल मास्क पर छपा है और स्कूल ने अपने विद्यर्थियों से प्रति मास्क 350-400 रूपये वसूला है। खान सोसायटी के साथ मिलकर बेंगलुरु एवं मैसूर में दिल्ली पब्लिक स्कूल चलाते हैं। उसके बाद सोयायटी ने जांच करायी और उसने पाया कि प्रतिवादी फैशन डिजायनर मनीष त्रिपाठी स्कूल का ट्रेडमार्क नकल कर अपने ब्रांड ‘नमस्ते अवे’ के नाम से मास्क बेच रहा है।

 

Web Title: Delhi High Court prohibits Desirener from using DPS logo on facemask

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