नई दिल्ली, 19 जुलाई: दिल्ली हाई कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग) की सुविधा मुहैया कराने की मांग पर केंद्र और दिल्ली सरकार, सिविक बॉडीज से जवाब मांगा है। ये याचिका नौ माह के अव्यान ने अपनी मां नेहा रस्तोगी के जरिए दायर की है। इस याचिका में सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान और देखभाल कक्ष बनाने की मांग की है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब दुनियाभर में यह सुविधा है तो यहां क्यों नहीं है?
हाईकोर्ट ने अथॉरिटीज का ध्यान खींचते हुए कहा कि दुनियाभर में महिलाओं को यह सुविधा मुहैया कराई जा रही है। सिर्फ हमारे यहां ही नहीं है, ऐसा क्यों? ऐक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने कहा है कि ये बहुत जरूरी है कि इस मामे को जमीन पर अधिकार रखने वाली सभी एजेंसियां और सिविक बॉडीज देखें।
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कोर्ट ने इस मामले में तीनों एमसीडी, डीडीए के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार को भी नोटिस भेजा है। कोर्ट ने कहा कि एयरपोर्ट पर भी बच्चों के ब्रेस्टफीडिंग की सुविधा नहीं है। हाई कोर्ट ने इस मामले को निपटाने के लिए सभी अथॉरिटीज की ओर से की गई कार्रवाई पर चार हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है। मामले पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
इस याचिका में कहा गया है कि इस मामले में दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश सरकार को दिया जाए। सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग की सुविधा मुहैया कराने की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि ब्रेस्टफीडिंग की सुविधा ना होने के कारण महिलाओं के निजता व जीवन के संवैधानिक अधिकार का हनन होता है। किसी यात्रा के दौरान पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कराना बेहद मुश्किल होता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक स्थान पर ब्रेस्टफीडिंग कराने से महिलाओं को यौन शोषण का भी शिकार होना पड़ता है।
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