सबरीमाला मंदिर में पुरुषों की तरह महिलाओं को भी प्रवेश का अधिकार मिले: सुप्रीम कोर्ट

By पल्लवी कुमारी | Published: July 18, 2018 11:00 PM2018-07-18T23:00:36+5:302018-07-18T23:00:36+5:30

बरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। सबरीमाला मंदिर की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं।

Sabarimala case: Women's right to pray is equal to that of men observes Supreme Court | सबरीमाला मंदिर में पुरुषों की तरह महिलाओं को भी प्रवेश का अधिकार मिले: सुप्रीम कोर्ट

सबरीमाला मंदिर में पुरुषों की तरह महिलाओं को भी प्रवेश का अधिकार मिले: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 18 जुलाई:  सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मंदिर एक सार्वजनिक स्थान है। सुप्रीम कोर्ट की  संवैधानिक पीठ के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि भारत जैसे देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है। 

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, मंदिर कोई प्राइवेट संपत्ति नहीं है, यह एक पब्लिक प्लेस है और सबरीमाला मंदिर जैसी सार्वजनिक जगह पर यदि पुरुष जा सकते हैं तो महिलाओं को भी प्रवेश करने का भी अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक, अगर मंदिर खुलता है, तो उसमें कोई भी जा सकता है। किस आधार पर उसमें पुरुष जा सकते हैं और महिलाओं का प्रवेश नहीं हो सकता है। यह भारत के संविधान के खिलाफ है।  

 जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 25 के अंतर्गत देश के सारे नागरिक किसी भी धर्म की मानने और उसका पालन के लिए स्वतंत्र हैं। इसका मतलब है कि एक महिला के नाते आपका प्रार्थना करने का अधिकार किसी विधान के अधीन नहीं है, यह आपका संवैधानिक अधिकार है। 

कोर्ट ने टिप्पणी में यह साफ कर दिया है कि मंदिर जैसे सार्वजनिक पर आप देश के किसी भी नागरिक को जाने से रोक नहीं सकते, चाहे वह फिर औरत हो या मर्द। धर्म को मामने की आजादी इस देश में सबको है। 

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गौरतलब है कि केरल सरकार भी इस मुद्दे पर तीन बार अपने फैसले में बदलाव ला चुकी है। 2015 में राज्य सरकार ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक का समर्थन किया था। वहीं,  2017 में सरकार ने इस फैसले का विरोध किया था। 2018 में सरकार ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश मिलना चाहिए। इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश करने की इजाजत मांगी थी। केरल हाई कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को उस वक्त सही माना था। 

बता दें कि सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। सबरीमाला मंदिर की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। जिन महिलाओं की उम्र 50 से अधिक है वह दर्शन के लिए आते वक्त अपने साथ आयु प्रमाण पत्र लेकर आए। 

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Web Title: Sabarimala case: Women's right to pray is equal to that of men observes Supreme Court

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