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दिल्ली अग्निकांडः जान गंवाने वालों के परिवारों को याद आए उनके आखिरी शब्द, फोन कर कहा- अब्बू मुझे बचा लीजिए, जिंदा नहीं निकल पाऊंगा

By भाषा | Updated: December 9, 2019 07:33 IST

दिल्ली अग्निकांडः त्रासदी में अपने दो बेटे गंवाने वाले नफीस (58) ने कहा कि दोनों भाई छह साल पहले उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से दिल्ली आए थे। वे दूसरे तल पर स्थित थैला बनाने वाली इकाई का संचालन करते थे जिसमें करीब 25 लोग काम करते थे।

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दिल्ली की अनाज मंडी में रविवार को लगी भीषण आग में मारे गए लोगों के गम में डूबे परिवारवाले अपने प्रियजनों के आखिरी लफ्जों को याद करते हुए आंसुओं को थामने की नाकामयाब कोशिश करते रहे। मौत सामने खड़ी देख 35 वर्षीय इमरान ने अपने पिता मोहम्मद नफीस को फोन कर उसे बचाने की गुहार लगाई और कहा कि वह जिंदा बाहर नहीं आ पाएगा।

त्रासदी में अपने दो बेटे गंवाने वाले नफीस (58) ने कहा कि दोनों भाई छह साल पहले उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से दिल्ली आए थे। वे दूसरे तल पर स्थित थैला बनाने वाली इकाई का संचालन करते थे जिसमें करीब 25 लोग काम करते थे। नफीस ने रूंधे गले से कहा, “मेरे बड़े बेटे इमरान ने मुझे फोन किया और कहा, ‘अब्बू, इमारत में भीषण आग लग गई है। मैं जिंदा बाहर नहीं निकल पाउंगा। मुझे बचा लीजिए।”

उन्होंने कहा, “मैंने उसे दमकल विभाग को फोन करने को कहा और कॉल थोड़ी देर बाद कट गई। उसने फिर मेरा फोन नहीं उठाया।” नफीस के मुताबिक उन्हें सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि वह अपने छोटे बेटे, 32 साल के इकरम से आखिरी बार बात नहीं कर पाए। बिहार के सहरसा के 18 वर्षीय मुस्तकिन ने अपने बड़े भाई अफसद (24) को इस त्रासदी में खो दिया जो तीसरी मंजिल पर स्थित जैकेट बनाने वाली इकाई में काम करता था।

मुस्तकिन ने कहा, “अफसद इस बार अपने परिवार के साथ ईद नहीं मना पाया था। वह सोमवार सुबह घर जाने वाला था और शनिवार रात को किए गए आखिरी फोन में उसने मुझसे घर का कुछ सामान खरीदने को कहा था। बिहार के मधुबनी जिले से 32 वर्षीय जाकिर हुसैन ने कहा कि उसके छोटे भाई शाकिर हुसैन ने अंतिम कॉल अपनी पत्नी को की थी। वह चौथी मंजिल पर स्थित टोपी बनाने वाले कारखाने में काम करता था। जाकिर ने कहा, “मैं फंस गया हूं। मैं जिंदा बाहर नहीं आ पाउंगा।”

दोनों भाइयों ने कल रात फोन पर बात की थी। उनके पिता भी दिल्ली में ही काम करते हैं और वे तीनों सोमवार को अपने गृहनगर जाने वाले थे। भाइयों ने रविवार को खरीददारी करने का मन बनाया था। जाकिर ने कहा, “शाकिर के तीन बच्चे थे, दो बेटियां और एक बेटा। उसकी पत्नी गर्भवती है।” 

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