Delhi Excise Policy case: पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज
By सतीश कुमार सिंह | Published: October 30, 2023 10:58 AM2023-10-30T10:58:48+5:302023-10-30T11:09:24+5:30
Delhi Excise Policy case: उच्चतम न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाला से संबंधित भ्रष्टाचार, धन शोधन के मामलों में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं खारिज कीं।
Delhi Excise Policy case: दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस. वी. एन भट्टी की पीठ ने फैसला सुनाई। पीठ ने दोनों याचिकाओं पर 17 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर सुनवाई धीमी गति से आगे बढ़ती है तो मनीष सिसोदिया बाद में फिर से ज़मानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। अगर सुनवाई की कार्यवाही में देरी होती है तो सिसोदिया कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाला से संबंधित मामलों में तीन महीने में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
Supreme Court directs to conclude the trial in the case in six to eight months. SC says if the trial proceeds at a slow pace, Sisodia can apply for bail again at a later stage
— ANI (@ANI) October 30, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ज़मानत याचिका खारिज कर दी। उच्चतम न्यायालय ने 17 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा था कि अगर दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत ‘‘अपराध से आय’’ का हिस्सा नहीं है, तो संघीय एजेंसी के लिए सिसोदिया के खिलाफ धनशोधन का आरोप साबित करना कठिन होगा। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आबकारी नीति 'घोटाले' में कथित भूमिका को लेकर सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
वह, उस समय से हिरासत में हैं। ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धनशोधन मामले में नौ मार्च को तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था। सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
उच्च न्यायालय ने 30 मई को सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री के पद पर रहने के नाते, वह एक "प्रभावशाली" व्यक्ति हैं तथा वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उच्च न्यायालय ने धनशोधन मामले में तीन जुलाई को उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप "बहुत गंभीर प्रकृति" के हैं।