दिल्ली चुनाव: सियासत के अच्छे खिलाड़ी नहीं, लेकिन अनुभवी रेफरी हैं कुमार विश्वास!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: February 6, 2020 19:21 IST2020-02-06T19:20:08+5:302020-02-06T19:21:01+5:30

Delhi Elections 2020: वर्ष 2014 से पहले देश की तस्वीर और तकदीर बदलने के लिए कुमार विश्वास, अन्ना हजारे के साथ आंदोलन में आगे आए थे. नतीजा? दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप ने स्थापित राजनीतिक दलों को मैदान से बाहर कर दिया.

delhi Elections 2020: kumar vishwas is not got political players, aam aadmi party, bjp congress | दिल्ली चुनाव: सियासत के अच्छे खिलाड़ी नहीं, लेकिन अनुभवी रेफरी हैं कुमार विश्वास!

कुमार विश्वास (फाइल फोटो)

Highlightsयदि प्रसिद्ध राजनेता रहे सुप्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास के पिछले कुछ वर्षों के सियासी सफर पर नजर डालें तो लगेगा कि- वे सियासत के अच्छे खिलाड़ी तो नहीं, लेकिन अनुभवी रेफरी जरूर हैं. राजनीति पर उनके ट्वीट अक्सर चर्चित खबरों में बदल जाते हैं.

यदि प्रसिद्ध राजनेता रहे सुप्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास के पिछले कुछ वर्षों के सियासी सफर पर नजर डालें तो लगेगा कि- वे सियासत के अच्छे खिलाड़ी तो नहीं, लेकिन अनुभवी रेफरी जरूर हैं. राजनीति पर उनके ट्वीट अक्सर चर्चित खबरों में बदल जाते हैं. अभी उन्होंने लिखा- सियासत! मैं तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता, तेरी शर्तों पे गायब या नुमॉंया हो नहीं सकता, भले साजिश से गहरे दफ्न मुझ को कर भी दो पर मैं, सृजन का बीज हूँ मिट्टी में जाया हो नहीं सकता.

जाहिर है, वे राजनीति में भले ही कुछ हांसिल नहीं कर सके हों, लेकिन कइयों के सियासी मुखौटे उतारने में कामयाब जरूर रहे हैं. वर्ष 2014 के बाद से सियासी चर्चाओं का केन्द्र बने डॉ. कुमार विश्वास को चाहने वाले तब लाखों में थे तो साल 2020 में उनको जानने वाले करोड़ों हो गए हैं.

वर्ष 2014 से पहले देश की तस्वीर और तकदीर बदलने के लिए कुमार विश्वास, अन्ना हजारे के साथ आंदोलन में आगे आए थे. नतीजा? दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप ने स्थापित राजनीतिक दलों को मैदान से बाहर कर दिया. इसी सियासी कामयाबी को हांसिल करने वाली कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल की जोड़ी बहुत लंबे समय तक वैचारिक धरातल पर साथ नहीं चल पाई.

अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उनकी सोच की प्रायोगिक दिशा बदल गई, जिसके परिणाम में कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल में दूरियां बढ़ती गई. सीएम और आप के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल ने कुमार विश्वास को फल से बीज की तरह अलग कर दिया.

लेकिन, कुमार विश्वास फिर भी सिद्धांतों के सियासी पथ पर आगे बढ़ते रहे. उनके पास सत्ता का हथियार नहीं था, लेकिन सृजन की धारदार तलवार जरूर थी, जिसके सहारे उन्होंने तमाम उन लोगों को बेनकाब करने का अभियान जारी रखा जो जननीति में नहीं राजनीति में विश्वास रखते हैं.

दरअसल, कुमार विश्वास सियासत के ऐसे खिलाड़ी हो ही नहीं सकते हैं, जो कप्तान के इशारे पर सही-गलत जाने बगैर विरोधियों के खिलाफ खेलता रहे. इन दिनों उन्हें बीजेपी ज्वाइन करने की सलाह दी जा रही है. अव्वल तो वे दोबारा ऐसी गलती करेंगे नहीं और यदि कर भी ली तो कितने दिन चलेंगे. क्योंकि, अभी कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर उनका नजरिया बीजेपी से मिलता है, किन्तु बीजेपी के सारे निर्णय उन्हें कैसे रास आएंगे?

वैसे भी, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वे सियासत के लिए बने ही नहीं हैं, इसलिए सृजन की उड़ान में सियासत का स्पीड ब्रेकर उनके लिए बेकार है.

Web Title: delhi Elections 2020: kumar vishwas is not got political players, aam aadmi party, bjp congress

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