दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड (JDU)के गठबंधन को लेकर जेडयू के ही राष्ट्रीय जनरल सेकेटरी पवन कुमार वर्मा ने आपत्ति जताई है। इस संबंध में उन्होंने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक पवन ने नीतीश कुमार से पूछा कि जब उनकी पार्टी बीजेपी की स्कीम नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ है तो वो कैसे बीजेपी के साथ गठबंधन कर दिल्ली का चुनाव लड़ सकते हैं।
पवन कुमार वर्मा के इस बयान से दिल्ली और बिहार की राजनीति में गरमाहट देखी जा सकती है। वहीं, जेडयू ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। इस सूची में जदयू के नेता प्रशांत किशोर और पवन वर्मा का नाम नहीं शामिल किया है। इसके बाद पनव वर्मा नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बीजेपी और जेडयू के गठबंधन पर सवाल उठाए हैं।
कयास लग रहे हैं कि सीएए और एनआरसी को लेकर प्रशांत किशोर और पवन वर्मा ने मोदी सरकार की खुलकर आलोचना की थी, इसकी वजह से इनका नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाया गया है।
जेडयू को दो और लोक जनशक्ति पार्टो को एक सीट
भाजपा आठ फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में दो सीटें जनता दल यूनाइटेड को और एक सीट लोक जनशक्ति पार्टी को दे दिया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जदयू को दो और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा को एक सीट देने का फैसला किया है। हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए लोजपा के प्रभारी काली पांडेय ने कहा कि उन्हें इस फैसले की जानकारी नहीं है। लोजपा ने पहले घोषणा की थी कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और उसने कई उम्मीदवारों के नाम भी घोषित किये थे।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि जदयू संगम विहार और बुराड़ी विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी वहीं लोजपा सीमापुरी से प्रत्याशी उतार सकती है। यह घटनाक्रम उस दिन घटा है जब भाजपा की पुरानी सहयोगी अकाली दल ने दिल्ली चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। अकाली दल ने संशोधित नागरिकता कानून में लाभार्थी के रूप में मुस्लिम शरणार्थियों को भी शामिल करने की मांग की है।