नई दिल्ली , 13 जून: दिल्ली - एनसीआर क्षेत्र में मार्च से मई के बीच वायु गुणवत्ता ‘‘ खराब से बहुत खराब स्तर’’ के बीच रही तथा कई बार इससे संबंधित सूचकांक 350 या उससे ऊपर पहुंच गया। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के आलोक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने मासिक आंकड़े जारी किये हैं , जो पिछले तीन माह में दिल्ली - एनसीआर क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को दिखाते हैं। यह रपट दिखाती है कि मार्च से मई के बीच कई बार वायु गुणवत्ता सूचकांक 350 या उससे ऊपर पहुंच गया।
वायु गुणवत्ता सूचकांक अगर 0-50 के बीच हो तो उसे अच्छा , 51-100 हो तो संतोषजनक, 101 से 200 के बीच हो तो मध्यम, 201-300 हो तो खराब, 301 से 400 के बीच हो तो बहुत खराब और 401-500 हो तो गंभीर माना जाता है।
धूल भरी आंधी की वजह से दिल्ली बदली हुई नजर आ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम से चलने वाली धूल भरी आंधी के कारण राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता खराब हो गयी है। धूल की वजह से हवा में बड़े कणों की मात्रा भी बढ़ गई है। हवा में धूल कणों की अधिकता के चलते लोगों के सांस लेने में परेशानी हो सकती है। सांस के मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद खराब है।
वहींं, उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त ईपीसीए ने आज दिल्ली - एनसीआर से जुड़े राज्यों के मुख्य सचिवों को धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाने का परामर्श दिया है। पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की सदस्य सुनीता नारायणन ने कहा , ‘‘ हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं और यदि चीजें नहीं सुधरती हैं तो हम गंभीर से अधिक बिगड़ी स्थिति ‘ सीवियर प्लस ’ संबंधी उपाय ला सकते हैं। ’’ ईपीसीए का फैसला ऐसे समय में आया है जब दिल्ली में प्रदूषण का स्तर राजस्थान के अंधड़ की वजह से बहुत बढ़ गया है। आज यहां हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर से भी नीचे चली गयी। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि अगले तीन दिन तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी।