कोच्चि, नौ सितंबर केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक महिला की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिस पर गलत तरीके से खुद को एक योग्य वकील के रूप में पेश करने और यहां एक जिला अदालत में बिना लाइसेंस के लगभग दो साल तक प्रैक्टिस करने का आरोप है।
न्यायमूर्ति शिर्सी वी ने राज्य सरकार और महिला की ओर से पेश की गई लंबी दलीलें सुनने के बाद याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया। राज्य सरकार ने आरोपी को किसी भी तरह की राहत देने का विरोध किया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील रॉय चाको ने अदालत में कहा कि आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की अब कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उस पर लगे आरोप से संबंधित सभी दस्तावेज बार एसोसिएशन के पास उपलब्ध हैं।
इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए अदालत ने हाल में अलप्पुझा बार एसोसिएशन के एक सदस्य को अनुमति दी थी। आरोपी महिला इस बार एसोसिएशन की सदस्य थी और उसे पुस्तकालाध्यक्ष भी चुना गया था।
हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि आरोपी महिला को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी था ताकि यह पता चल सके कि उसे फर्जी दस्तावेज और प्रमाणपत्र कैसे प्राप्त हुए जिसके आधार पर वह खुद को योग्य वकील के रूप में पेश करने में कामयाब हुई।
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